मुक्तक/दोहा

दिल्ली के दोहे

दिल्ली में आया हुआ, एक अजब भूचाल।
नहीं किसानों  का वहाँ, कोई  पुरसा हाल।
दिल्ली होती जा रही, दिन पर दिन बेहाल।
देखे  अब जाते  नहीं, क्या  बतलायें हाल।
नहीं ग़रीबों  की  ज़रा, दिल्ली पुरसा हाल।
पूँजीपति  नित  हो  रहे, देखो  मालामाल।
बात बात  में हो  रही, हर सू  जूता  लात।
दिल्लीकेदिखतेनहीं,मुझको शुभ हालात।
दिल्लीआकर हैं जमें,जिनकी मोटी खाल।
क्या इनके भी  ट्रम्प से , होंगे  यारों  हाल।
— हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - [email protected] मो. 9795772415