स्वस्थ भारत का सपना
वर्तमान बजट में जो सबसे अच्छी बात मुझे लगी है वह है स्वास्थ्य को पर्याप्त महत्व देना और उसके लिए 137 प्रतिशत राशि बढ़ाकर आवंटित करना। सरकार ने यह राशि इस बार 2.23 लाख करोड़ रखी है। यह तो स्पष्ट है कि इस राशि का एक बड़ा भाग 35 हजार करोड़ रुपये देश के नागरिकों को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराने में व्यय किया जाएगा, जो कि आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यह भी लगभग स्पष्ट है कि अधिकांश नागरिकों के लिए यह टीका लगभग मुफ्त होगा, जो कि सरकार की जिम्मेदारी भी है। अन्य सक्षम नागरिकों से भी न्यूनतम शुल्क लिया जाएगा।
इस बजट में दूसरी सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार का जोर रोगों के इलाज के साथ-साथ नागरिकों का स्वास्थ्य बनाने पर अधिक होगा। कहावत भी है कि बचाव हमेशा इलाज से अच्छा होता है। इसलिए सरकार आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत देशभर में लगभग 29 हजार नये स्वास्थ्य और आरोग्य केन्द्र खोले जायेंगे, जिनमें से 18 हजार ग्रामीण क्षेत्रों में और 11 हजार शहरी क्षेत्रों में होंगे। इन केन्द्रों का उद्देश्य देश में आम आदमी को स्वस्थ और सुखी जीवन उपलब्ध कराने के लिए बीमारियों की रोकथाम, जाँच और इलाज का मजबूत देशव्यापी ढाँचा तैयार करना है ताकि जनता अपने इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों में अपनी जेब कटवाने के बजाय मामूली शुल्क में विश्वसनीय सरकारी सुविधायें प्राप्त कर सके।
यदि यह योजना अपने उद्देश्य के अनुसार सफल रहती है, तो इसमें कोई सन्देह नहीं है कि देश के नागरिक अधिक स्वस्थ रहेंगे और संक्रामक बीमारियों से बचे रहेंगे।
स्वास्थ्य को आवश्यक महत्व देने के लिए सरकार की जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है। देखना केवल यह है कि इस योजना में योग और प्राकृतिक चिकित्सा का कितना उपयोग होता है, क्योंकि योग ही एक ऐसी पद्धति है जो मनुष्य को सम्पूर्ण स्वास्थ्य की ओर ले जाती है और प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा सभी रोगों का पूर्ण उपचार किया जा सकता है।
— डॉ विजय कुमार सिंघल
माघ कृ 7, सं. 2077 वि. (4 फरवरी 2021)