कविता

आदर्श में भिन्नता

आने वाली हर पीढ़ी

बाबा साहब का

अंधानुकरण ही करें

या मान्यवर कांशीराम के

मार्ग पर ही चले !

समाज के विकास की

सतत प्रक्रिया होती है,

इसलिए नए तथ्यों के

आलोक में हमेशा

नई रणनीति के साथ ही

कुछ नया करना पड़ता है।

बाबा साहब ने

महामना ज्योतिबा फुले को

अपना गुरु माना,

लेकिन फुले के

आर्य आक्रमण सिद्धांत को

नकार दिए ।

मान्यवर कांशीराम ने

बाबा साहब को आदर्श बनाया,

लेकिन उनसे हटकर

जातियों के

उच्छेद जैसे दुरूह कार्य को

हाथ नहीं लगाया।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.