ज़ालिम लोशन
भारत में
देवर-भौजाई के साथ,
सलहज-नंदोशी के साथ,
जीजा-साली के साथ,
देवर और
भाभी की बहन के साथ
हँसी-मजाक तो
‘हँसगुल्ले’ की तरह
चलते-रहते हैं !
मीटू के कारण
यह सभी मजाक
बन्द हो जाएंगे!
सिर्फ फ़िल्म से जुड़े
पुरुष पात्र ही नहीं,
राजनीतिज्ञ,
शिक्षाविद,
उद्योगपति तक
मीटू के शिकार होंगे !
भगौड़ेपन से
निजात पाने के बाद भी
क्या वो
‘कैलेंडर-गर्ल्स’ को
रोक पाएंगे !
टुकड़े-टुकड़े धूप
सोन्हे ही रहेंगे ?