कविता

उम्मीद

उम्मीदों के भँवर जाल में फँसकर मानव,
सपनों के अगणित तानों को तुड़प रहा है।
चंचल इन्द्रिय पर संयम के अंकुश डाले,
हृदि सरगम में प्रिय गानों को तुड़प रहा है।
द्वेष दम्भ माया मद मत्सर दुर्विचार पर,
दुनिया में नव सृजन कराती भी उम्मीदें-
उम्मीदों से होता जीवन का सब किसलय,
उम्मीदों  से हर दानों को तुड़प रहा है।।
— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन