लघुकथा

स्नेहमयी

आजकल आराध्या और ऐश्वर्या राय बच्चन की चर्चा वायरल हो रही है. आराध्या को क्या-क्या संस्कार दिए जा रहे हैं और ऐश्वर्या जहां भी जाती हैं, आराध्या को साथ ले जाती है, उसका हाथ पकड़े रहती हैं. दोनों के कपड़ों के रंग और डिजाइन भी अक्सर एक जैसे होते हैं आदि-आदि.

शिल्पी को अपनी मां श्वेता की याद आ गई.
”बिलकुल ऐसा ही तो था मेरा भी बचपन!” शिल्पी मां के ख्यालों में खो गई.

”नाम भी कितना अच्छा रखा था मेरा- शिल्पी! नाम के अनुरूप शिल्प में माहिर भी किया.”

”इतना लाड़-प्यार कि कल्पना करना ही मुश्किल! मार तो दूर की बात है, कभी डांट तक पड़ने की याद उसे बिलकुल नहीं है.”

”बिलकुल ऐसे ही जहां जातीं, साथ ले जातीं, किसी की परवाह किए बिना मेरा हाथ पकड़े रहतीं. दोनों के कपड़ों के रंग और डिजाइन भी अक्सर एक जैसे होते थे.” शिल्पी शून्य में देखती रही.

”अच्छा घर-वर देखकर बड़ी धूमधाम से मेरा विवाह भी रचाया पति भी शिल्पी हैं, जिससे मेरा शिल्प अब तक जिंदा है, बस मां जिंदा नहीं है.” स्नेहमयी मां की स्मृति से शिल्पी का उदास होना स्वाभाविक था.

”शिल्पी, तुम मेरी गोद ली हुई बेटी हो. अनाथालय से तुम्हें लेकर मैं सीधे नए घर-पड़ोस में आई थी, ताकि किसी को भनक भी न लगे.” मां के कागज समेटते-समेटते अचानक शिल्पी के हाथ में मां के हाथ की सुंदर लिखाई वाला लिखा पुर्जा लगा.

गोद लेने वाली मां इतनी स्नेहमयी हो सकती है, शिल्पी को विश्वास ही नहीं हो पा रहा था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “स्नेहमयी

  • लीला तिवानी

    मां की महिमा (गीत)

    हे मां हमें तेरे चरणों में, सुख तीन लोक का मिलता है
    मिटें पाप-ताप-संताप यहां, मन-सुमन यहीं पर खिलता है-

    हमें तूने ही है जन्म दिया, दुनिया तूने दिखलाई है
    अब तो जिस ओर नज़र जाए, बस देती तू ही दिखाई है
    नज़रों में (2) उजाले भर जाते, जब मुखड़ा तेरा दिखता है-हे मां हमें–

    हम जहां रहें जैसे भी रहें, तुझको न भुला पाएंगे मां
    तुझसे ही वजूद हमारा है, हम आभारी हैं तेरे मां
    तेरा कोमल कर (2) सिर पर जो रहे, दुःख-दर्द का पर्वत हिलता है-हे मां हमें–

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