श्रीराम मंदिर से राष्ट्र मंदिर का निर्माण
हिन्दू समाज के आराध्य, सम्पूर्ण विश्व के मार्गदर्शक, जन-जन के ह्रदय तल में निवास करने वाले मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्री राम का भव्य मंदिर निर्माण हो रहा है। यह केवल एक मंदिर का निर्माण नही अपितु राष्ट्र मंदिर का निर्माण है। हजारों, लाखों लोगों के बलिदान के बाद यह शुभ दिन हमे प्राप्त हुआ है। इस शुभ दिन के लिए सभी भारतीयों, श्रीराम अनुरागियों को स्वयं से आगे बढ़कर मंदिर निर्माण में अपना सर्वोत्कृष्ट देना चाहिए। “सब में राम, सबके राम” को अपना कर रामराज्य की कल्पना को साकार करना चाहिए। निष्काम भाव से सभी को साथ लेकर, समता, ममता, अपनत्व के साथ विजय श्री का शंखनाद कर सम्पूर्ण विश्व मे बन्धुत्व का वतावरण निर्माण हो ऐसी अपेक्षा के साथ श्रीराम मंदिर का निर्माण कर भारतवर्ष को पुनः जगतगुरु के पद पर आसीन कर भारत माता का मस्तक ऊंचा करने का समय है। यह शुभ दिन लगभग ५०० वर्षों के कड़े संघर्ष के व ७५ से अधिक लड़ाई, लाखों बलिदान के बाद प्राप्त हुआ है हमारे पूर्वजों माताओं, बहनों, सन्त-महात्माओं ने अपना सबकुछ स्वाहा किया है। तब यह हमें प्राप्त हुआ है।
विश्वहिंदू परिषद, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पौष प्रतिपदा से माघ पूर्णिमा तक श्री राम मंदिर निर्माण निधि समर्पण अभियान के द्वारा सम्पूर्ण विश्व से धन एकत्रित कर श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण की योजना किया है। इन रामभक्तों की टोली सभी के घरों में जाकर मंदिर निर्माण के लिए चन्दा जुटाएगी। मंदिर निर्माण सरकार के दम पर नही, कुछ पूंजीपतियों के दम पर नही अपितु मंदिर निर्माण करोड़ों-करोङ रामभक्तों के परिश्रम उनके सहयोग से होगा ऐसी उत्तम योजना विश्वहिंदू परिषद व श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों ने किया है। इस लिए मंदिर निर्माण निधि संग्रह टोली का स्वागत कर जो अपने पास श्रीराम जी का है उसी में से खुले हृदय से श्रीराम जी के लिए देना चाहिए। मंदिर निर्माण किसी एक, दो, चार लोगों से नही भारत के सभी जाति, बिरादरी, मत, पंथ, सम्प्रदाय के सहयोग से बने और समूर्ण दुनिया को सन्देश जाए कि समता, करुणा, ममत्व, अपनापन, बन्धुत्व, कुटुम्ब देखना हो या सीखना हो तो भारत जाएं पवित्र नगरी श्री अयोध्या जी जाएं। मंदिर निर्माण में सभी मुस्लिम समाज के लोगों को भी स्वयं से आगे आकर सारी कटुता को भुलाकर अपना सर्वोच्च देकर दुनिया को भाईचारे का संदेश देना चाहिए। यह मंदिर दुनिया का सबसे श्रेष्ठ उदाहरण बने इसके लिए सभी प्रयास करें। गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीराम चरितमानस में श्री रामराज्य के बारे में वर्णन करते हुए लिखा है कि-
राम राज बैठे त्रैलोका। हरषित भए गए सब सोका।।
बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई।।
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा।।
अल्पमृत्यु नहिं कवनिउ पीरा। सब सुंदर सब बिरुज सरीरा।।
नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना। नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना।।
सब गुनग्य पंडित सब ग्यानी। सब कृतग्य नहिं कपट सयानी।।
इस प्रकार का रामराज्य पुनः कैसे स्थापित हो इसके लिए सभी को साथ मिलकर प्रयास करना होगा।
महर्षि अरविंद घोष ने अपने व्याख्यानों में कहा था कि इक्कीसवीं सदी भारत की सदी होगी। वह दिन भी हमीं को साकार करना होगा। इस कोरोना जैसी महामारी से भारत जिस प्रकार लड़ रहा है दुनिया के सारे देश भारत की प्रसंसा कर रहे हैं और सब प्रकार के समाधान के लिए भारत की ओर ही ललचाई दृष्टि से देख रहे हैं इस लिए सरकार के साथ-साथ सभी को मिलकर भारत के उज्ज्वल भविष्य निर्माण में अपना अमूल्य देकर सब प्रकार के संकटों को मात देकर दुनिया के सामने स्वाभिमान के साथ खड़े हों यही सच्ची श्रीराम भक्ति होगी।