प्रेम
एक ऐसी भाषा है
जो सर्वमान्य और शाश्वत है
सारभौमिक है
मनुष्य हो
पशु हो
पक्षी हो
सभी द्वारा महसूस और
समझी जाती है
उसके समझने के लिए
न आंखों चाहिए
न कान
वह तो
तरंगों से पहचानी जाती है
एक ऐसी भाषा है
जो सर्वमान्य और शाश्वत है
सारभौमिक है
मनुष्य हो
पशु हो
पक्षी हो
सभी द्वारा महसूस और
समझी जाती है
उसके समझने के लिए
न आंखों चाहिए
न कान
वह तो
तरंगों से पहचानी जाती है