जाने क्यूँ रूठा सा है मौसम इन दिनों।
तुम बिन तंहा सा है मौसम इन दिनों।
ये झेंपता है कभी,नजरें चुराता है कभी,
खुद से ही पशेमां है मौसम इन दिनों।
हर लम्हा एक अजीब सी बेकरारी है,
न पूछो यारों कैसा है मौसम इन दिनों
कटते नहीं दिन इंतज़ार के क्या करें
उल्फ़त की सज़ा है मौसम इन दिनों
लफ्ज़ों में कैसे बयां करें अब हाले दिल
खुद ही समझ लो क्या है मौसम इन दिनों
— ओम प्रकाश बिन्जवे राजसागर