सामाजिक

वाशिंगटन मे नौ साल की बच्ची के साथ की गयी क्रूरता

आज दुनिया के सभी देश आधुनिकता की राह पे चलते हुए दिन प्रतिदिन जहां तरक्की कर रहे हैं।साथ ही जहां हर देश के रहवासियों को एकता,भाईचारे, अपनापन और प्यार का पाठ पढ़ाया जा रहा है।ताकि हर देश मे खुशी और एकता अपनापन होगा तो ये दुनिया स्वर्ग सी प्रतित होने लगेगी।सब खुशी खुशी रहने लगेंगे।इसी सोच के चलते सभी देश की सरकार मिल भरपूर प्रयास कर रही की उनके देश मे शांति व्याप्त हो परंतु आज भी इस आधुनिकता की दौर मे छोटी सी फूल जैसी बच्ची के साथ सुकूची मानसिकता के चलते ऐसी क्रूरता की जाऐगी।कितने आश्चर्य की ये बात है।वो भी वाशिंगटन जैसे आधुनिक रुप से परिपूर्ण देश मे जो कि मेरी कल्पना से सच परे ही था की वहां कि पुलिस द्वारा इतना बुरा रवैया मासूम सी नौ साल की बच्ची पर की जाऐगी।बहुत ही दुख भरी बात है कि ऐसा पुलिस द्वारा किया है।
आज जब इतनी अधिक आधुनिकता के चलते अमेरिका जैसे देश मे इतनी बड़ी क्रूरता की गयी र वो भी मात्र नौ वर्ष की बच्ची के साथ और ये क्रूरता करने वाले कोई बच्चे नहीं बल्कि वहां के पुलिस अधिकारियों द्वारा जो कि खुद मानवता की रक्षा के लिये सरकार द्वारा चुनी जाती है,इन्हीं पुलिस अधिकारियों ने ही अब सब सीमाऐं उलांघ दी। मात्र नौ वर्ष की बच्ची को गिरफ्त मे लेके उसके आंखों मे काली मिर्च का स्प्रे छिड़क दिया और उसके हाथ पैर बर्बरता से बांध कर उसे घसीटा गया बच्ची तड़प उठी वो चीखने रोने लगी परंतु पुलिस के किसी भी अधिकारी ने बच्ची को आंखें धोने के लिये पानी भी ना दिया गया।सोच कर ही सिहरन सी जाग उठी दिल मे की मात्र नौ साल की बच्ची की उस समय किस तड़प और दुर्दशा मे होगी।क्यों इन कठोर दिल वालों को उस बच्ची पर तरस नहीं आया।यदि उस बच्ची को कुछ हो जाता तो उसका जिम्मेदार कौन होता?कौन इसका जवाब देगा?इससे पहले भी वाशिंगटन मे 2014 मे एक बच्चों और लोगों को प्रताड़ित किया जा चुका है और किया जा रहा है और ना जाने कब तक किया जाता रहेगा।क्या ये मात्र इत्तेफाक है या कोई और समस्या के अंतर्गत इसे मात्र पारिवारिक विवाद के तौर पर सजा देने की बात कह कर बात को टालमटोल किया जा रहा है।बहुत से लोगों का मानना है कि ये सजा रंगभेद के चलते बच्ची को दी गई है।कुछ सपष्ट नहीं हो पा रहा या कारण के ऊपर लीपा पोती कर उसे ढकने का प्रयास किया जा रहा है।परंतु वाशिंगटन की पुलिस की खूब किलकारी उड़ाई जा रही है।
क्या रंग मायने रखता है इंसानियत अब सिर्फ़ मह़ज नाम मात्र की बन के रह गयी है या वाशिंगटन के लोगो मे दिल नाम की चीज़ ही ना रही है।इतने पत्थर दिल कैसे कोई हो सकता है।वर्ष दो हजार चौदह मे भी इसी तरह छोटे से बच्चे को रंगभेद का करार देते हुए उसे प्रताड़ित कर गोली मार दी गई थी।क्या नौ वर्ष की बच्ची या महज़ ग्यारह,बारह साल का बच्चा जानता भी है कि ये रंगभेद होता क्या है और क्यों रंगभेद किया जाता है?नहीं जानता ना वो मासूम जिसने तो अभी दुनिया भी पूरी नहीं देखी और ना ही वो दुनिया के तौर तरीकों को सीख पाया है।
कुछ वर्ष पूर्व अखबारो की सुर्खियों मे भी खूब खबर पढ़ते थे कि आस्ट्रेलिया मे पढ़ने वाले भारतिय बच्चों के साथ भी रंगभेद करते हुए उन्हें रोज़ परेशान किया जाने लगा जिसके चलते बहुत से बच्चे तो आस्ट्रेलिया जैसे देश से शिक्षा पाने की चाह को अधूरा ही छोड़ के वापस भारत देश लौट आऐ और पालक गणों ने भी दुबारा अपने बच्चों को आस्ट्रेलिया भेजना मुनासिब नहीं समझा।
क्यों कि वहां रंगभेद समस्या इतनी अधिक बढ़ गई थी जिसके चलते आऐ दिन भारतिय विद्यार्थियों को सताया जाने लगा।क्या सिर्फ़ इंसान का रंग ये तय करता है कि वो निम्न कोटी का है और श्वेत रंग उच्च कोटी का किसने हक दिया किसी को भी यह रंगभेद कर मानवता को शर्मसार करने का हक।
इसांन की परख उसके चाल चलन,मानवता,पर ही निर्भर करता है,इर इंसान का रुपरंग चाहे भिन्न हो परंतु रक्त कणिकाओं के रंग को कोई भी बदल नहीं सकता है। आज समाज मे इंसानियत, एकता का होना बहुत ही जरूरी है ना की रंग रुप का।केवल छोटी सी गलती के तहत बच्चों को ऐसी सजा देना की आंखों मे मिर्ची का स्प्रे और हाथों मे हथकड़ी ये हमारे जैसे सभय इंसानों को शोभा नहीं देता ।सच जो वाशिंगटन मे हुआ वो गलत है ऐसा करने वाला सिर्फ़ निंदा का ही पात्र है।बच्चों को यदि सही मार्गदर्शन प्यार से पास बिठाकर दिया जाऐ तो वो बहुत जल्दी समझ लेते हैं हर एक बात जब की कड़ाई से समझाई कोई भी बात बच्चों के दिमाग पर ठीक विपरीत प्रभाव करती है ये रंगभेद की समस्या का समाधान बहुत ही जरूरी है जिससे देश मे हर और सुख,शांति और प्रेम से मिलजुलकर सभी रह सकें।रंगभेद की समस्या बड़ी विकराल है,जिसकी आढ़ मे बस चलते अत्याचार है।
इस रंगभेद की समस्या को मिटाना अब एक विचार है।सबको अपने आत्मीयता और सम्मान से बस प्यार है।परंतु कुछ संकुचित सोच वाले अपनी सोच के आगे बस अपाहिज़ और लाचार है।इस रंगभेद की सोच को मिटाओ तभी देखो हर ओर इंद्रधनुषी रंगों से भरा खुशी का अंबार है।

— वीना आडवानी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित