मेरा सफरनामा भाग 2
जिंदगी के हर एक पहलू जब सजाए,वाह-वाही का तांता हर ओर से पाए।। ऐसा नहीं हुआ हर बार संग मेरे
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Read Moreपता है पाठकों मैं बहुत कम समय टेलीविजन देखती हूॅं और अगर देखी भी तो सबसे अधिक समय मेरा विभिन्न
Read Moreएक पिता ये सोचेगा चलो दस पंद्रह दिन का अब तेल हो गया भोजन बनाने के लिये अब जो पैसे
Read Moreगंभीर बीमारी लाईलाज नहीं है फिर भी,दवा खाकर हो सकते मरीज़ निरोगी, जी।।मन पर वश नहीं है रोगी का अपने
Read Moreआज भी याद है मुझे एक समय था जब मैं स्कूल जाती थी तब मुझे पांच पैसे मिलते थे अरे
Read Moreश श श श श श! चुप कलम अरे चुप रह मुंह बंद रख अपना, मुझे क्यों डांट रही तन्वी
Read Moreजिंदगी के हर एक पहलुओं कोजब-जब लिख मैंने सजाया है।।हर बार एक नया घाव शब्दों मेंनया भाव उभार ही लाया
Read Moreपता है फिर भी? अरे क्यों? फिर भी क्यों? आखिर क्या मिल रहा या क्या मिलेगा? क्या इसमें तुम्हारा बहुत
Read Moreसोचा आज तकलीफ को तकलीफ का एहसास करा दू- मैं उफ्फ़ कितना दर्द है इन लिखी पंक्तियों मे। एक लेखक
Read Moreजब कलम चलाई तब दर्द ही मेरा झलका हैलिखा जब हर दर्द, तभी तो हुआ मन हल्का है।। न जाने
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