सामाजिक

मानसिक प्रताड़ना का रामबाण इलाज

वर्तमान की परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए और अपने आसपास के वातावरण के साथ ही कुछ सखियों के संग बात कर उनके अंतर्मन की दशा को भांपते हुए । मन में आज कुछ सवाल उठे और उन सवालों के उत्तर खोजने लगी , जब उन सवालों के उत्तर मुझे मिले तो , मुझे लगा कि […]

सामाजिक

बच्चों मे जान ,बड़ो में अभिमान , बुजुर्गों में ज्ञान

आज के समय मे अपने ही चहू ओर कि हर एक विषम परिस्थितियों को देखते हुए जो मन में विचार का उद्गम हो रहा है , उन्हीं विचारों या अपनी अभिव्यक्ति को काग़ज़ों पर संवार मन को आत्म तृप्ति देने मे कितना सुकून का अनुभव होता है । साहित्यकार वही तो है जो देखे अपने […]

गीतिका/ग़ज़ल

कह बुलाए दुनिया

कलम प्रखर नहीं थी मेरी इसे प्रखर बनाया है।। हर गहरा ज़ख़्म मेरा शब्दों में ज़हर घोल पाया है।। चोट किया इतना दिल पर मेरे ज़ालिम दुनिया ने आज मोम भरा दिल मेरा पत्थर का बनाया है।। मुस्कान भरे चेहरे पर , हर वक्त रहे अब क्रोध रस ये क्रोध काग़ज़ ही है जो सहन […]

सामाजिक

नया बाजार लाईक, कमेंट लाओ इनाम पाओ, शोषण करवाओ

आप सभी सोच में पड़ गए होंगे कि अरे ये कौन सा बाज़ार है और ये बाज़ार कहां है , जहां सिर्फ लाईक और कमेंट लाना है सभी से दुकान के लिए और इनाम पाना है । अरे वाह सभी सोचे ये तो बहुत ही आसान काम है इनाम पाने का । अब आप सोच […]

सामाजिक

सौ क्विंटल के तीन फल ! अरे कैसे ?

अरे ! सच आज मैं बहुत बड़ी सोच मे उलझ गयी हूं , और खुद से ही सवाल कर रही कि सिर्फ तीन फल सौ क्विंटल के कैसे हो सकते हैं ? जवाब ही नहीं मिल रहा । पर जब जवाब मिला तो सोचा चलो आप सभी संग अब मैं अपने ही सवाल का जवाब […]

सामाजिक

दूधारू हो, परंतु गाय हो गाय

वर्तमान युग में बढ़ती हुई महंगाई को मद्देनजर रखते हुए इस लेख को लिखना चाहा । वाकई यदि हम अपना पहले का समय देखें और आज के समय से हम मिलान करें तो,  महंगाई 3 गुना स्तर बढ़ गई है । ऐसे में किसी भी परिवार का अपने परिवार के प्रति अकेले आर्थिक जिम्मेदारी निभाना […]

कविता

एक कोशिश , जरिया बनने की

ज़हर जो उगले मेरी कलम छील के ये रख देती है क्रोध कि ज्वाला धधक रही लिख शांत हो कलम कहती है।। एक कोशिश , जरिया बनने की।।2।। भूचालों से घिरे जज़्बात मेरे भूचालों को कलम रूख देती है बेबाक शब्दों की मालिक तू वीना मेरी कलम ये मुझसे कहती है।। एक कोशिश , जरिया […]

सामाजिक

एक सवालिया निशान ? क्या एसे मर्द , मर्द हैं

आज वर्तमान युग मे यदि देखा जाए तो हर ओर भ्रष्टाचार का ही बोल बाला है । ये भ्रष्टाचार किसी एक प्रकार का  नहीं है , अनेक प्रकार के भ्रष्टाचार है जो आपराधिक गतिविधियों के अंतर्गत आते हैं । अब ये भ्रष्टाचार चाहे कह  लो आर्थिक से संबंधित हो या तस्करी, रिश्वत या कह लो […]

सामाजिक

बलात्कार गुनाह और स्वैच्छिक बलात्कार नहीं

बलात्कार शब्द एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर दिल क्रोध से भर जाता है । बलात्कार के अंतर्गत बलात्कारी अब यह भी नहीं देखते कि जिसका बलात्कार हो रहा वो किस उम्र , किस लिंग का है सिर्फ अपने हवस की भूख मिटाने के लिए किसी की जिंदगी , भावनाओं , रिश्तों को तार-तार कर […]

सामाजिक

अपने ही, अपनों की आंखों मे तब खटकते

आज कि भागमभाग जिंदगी में हर कोई एक दूजे से आगे निकलना चाहता है। हर कोई चाहता है कि, हम जल्द आगे बढ़ें और तरक्की करें परंतु हमारे रास्ते में कोई भी व्यवधान उत्पन्न ना करें। चाहे, वह व्यवधान उत्पन्न करने वाले हमारे ही क्यों ना हो वह व्यवधान भी जो उत्पन्न किया जा रहा […]