गज़ल
कोई तो है जो मेरी राह तक रहा होगा
किसीका दिल मेरे लिए धड़क रहा होगा
फैलती जा रही है रोशनी रफ्ता-रफ्ता
नकाब हसीं चेहरे का सरक रहा होगा
सालों पहले तेरा नाम लिखा था जिस पर
वो कागज़ अभी तलक महक रहा होगा
अश्क कह के इसको इश्क की तौहीन न कर
सीप सी आँख में मोती चमक रहा होगा
जता-जता के प्यार मैं नहीं थका लेकिन
छुपा – छुपा के तू ज़रुर थक रहा होगा
— भरत मल्होत्रा