याद करके तुम्हें
याद करके तुम्हें तुम्हारी तस्वीर को छुआ ।
वल्लाह खूबसूरत तुम्हारी तस्वीर को छुआ ।।
क्या बात क्या नूर क्या खूमार चेहरों पर ,
तेरी उम्मीद तेरी दीद ए बेनजीर को छुआ ।
वो सुहाना मौसम वो दिलकश सफर सुहाना ,
दिल में कैद यादों की वो जंजीर को छुआ ।
मेरे करीब आए तुम बनकर मेरे नसीब आए ,
आहिस्ता आहिस्ता अपनी तकदीर को छुआ ।
दुआओं में पाया तुम्हें खुदाओं में पाया तुम्हें ,
पाकर तुम्हें पाकीज़ा इश्क़ ए हीर को छुआ ।
जिंदगी के राहों में मेरी मचलती बाहों में तुम ,
दर्दे दिल खंजर ए इश्क निगाहें तीर को छुआ ।
याद करके तुम्हें तुम्हारी तस्वीर को छुआ ।
वल्लाह खूबसूरत तुम्हारी तस्वीर को छुआ ।।
— मनोज शाह ‘मानस’