होली
प्रतिदिन प्रतिपल नवसंवत का,
तुमको मंगलकारी हो ।
घर आंगन द्वारे खेतों तक ,
खुशियों की फुलवारी हो ।
मीत प्रीति की रीत यही है ,
अमित अगाध नेह बांटो,
दो हजार इक्किस की होली,
सबको ही सुख कारी हो।
वात्सल्य देवर भाभी का,
युगो युगो तक बना रहे।
लता सहारा हरदम पाए ,
तना हमेशा तना रहे ।
जीजा साली के रिश्तो की ,
मर्यादा गुमराह न हो,
हर रिश्तो में जन जन का,
विश्वास अलौकिक बना रहे।।
— आशुकवि नीरज अवस्थी