गीत
देखो आया गजब जमाना
भाई से भाई जलता है
सिद्ध करूं उससे बेहतर हूं
सपना आंखों में पलता है
एक कोख के होते जाये
हो जाते हैं गजब पराये
ऐसा खेला रचा नियति ने
नहीं किसी की समझ में आए
त्रेता में सुग्रीव भी अपने
भाई की आंखों में खलता है
देखो आया गजब जमाना
भाई से भाई जलता है
युग बदला द्वापर भी आया
कौरव पांडव भी थे भाई
गुरु ने संस्कार देने में
कोई कसर थी नहीं उठाई
लेकिन जो विधि का विधान है
उस पर जोर नहीं चलता है
देखो आया गजब जमाना
भाई से भाई जलता है
धर्मराज कहलाए युधिष्ठिर
और सुयोधन था दुर्योधन
स्वयं कृष्ण जी ने समझाया
बदला नहीं मगर उसका मन
शैशव बचपन और बड़ा हो
मूंग वो छाती पर दलता है
देखो आया गजब जमाना
भाई से भाई जलता है
— डॉ/ इंजीनियर मनोज श्रीवास्तव