दकियानूसी पसंद नहीं
आप में अगर
सेवा की भावना नहीं है,
अगर दूसरे के प्रति
मनभेद पालते हैं,
तो यह कैसी
आस्तिकता है ?
भीतरघाती व्यक्तियों से
बचकर ही
रहना चाहिए,
चाहे वह स्त्री हो
या पुरुष !
अगर मतभेद है
तो ‘बेबाक़ीपन’ होंगे ही !
आप अपने
हर कृत्य के लिए
शाबासी नहीं पा सकते !
लोग हर समय
आपकी प्रशंसा
नहीं कर सकते!
मैं दकियानूसी कृत्य को
नहीं अपना सकता !
तभी तो मुझे
‘छद्म आस्तिकता’
पसंद नहीं है।