गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

ज़िंदगी जिंदादिली को प्यार लिखना,
अजनबी को मत कभी हमयार लिखना।

अनछुए कोरे कपोलों की परिधि पर,
तर्जनी से यूँ नहीं श्रृंगार लिखना।

हैं शरम से लाल मेरे अनजुठे लब,
मत जुठाकर प्रीति का अभिसार लिखना।

नत नयन में ख़्वाब मत कोई पिरोना,
नींद में आकर नहीं अधिकार लिखना।

दे दखल ना तूँ मेरे हक में अवध यूँ,
मौन को मेरे नहीं स्वीकार लिखना।

डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन