भोगी क्या ?
एकतरफ
माघी पूर्णिमा गंगा स्नान !
दूजे संत रैदास का
उपदेश-
‘मन चंगा तो कठौती में गंगा !’
मन में छल है,
किन्तु तन साफ है
सिर्फ ढोंग !
बिहार में
नियमित शिक्षक जहाँ
नियोजित शिक्षक को
परेशान करते हैं,
तो नियोजित शिक्षक वहीं
अतिथि शिक्षको को !
वो 2,000 रु. की साड़ी
पहनती है,
खुद को
बड़े घर की बेटी
और बहू कहती हैं;
किन्तु मुफ़्त खाने के लिए
पिउन के हिस्से का भी
खा जाती हैं !
अगर दुबारा मंत्री बनने की
इच्छा या लालसा है,
तो यह ‘सेवक’ की
परिभाषा में नहीं,
अपितु ‘भोगी’ की
परिभाषा में
आता है !