माँ शारदे
माँ शारदे वीणाधारिणी! अपनी कृपा से जीवन जोड़ दे
मेरे मन की मधुर विनय सुन, निष्ठां से नया मोड़ दे.|
हंसवाहिनी पदमासन शुभ स्वेत सा, वस्त्र अनुपम गहरा
रावण का मन कैसे फेरा,वर मांगत पर बन गया ठहरा .|
यह सब कृपा तिहारी उपकारी ,सी सदा सम्बल तोड़ दे.
मेरे मन की मधुर विनय सुन ,ले निष्ठां सा नया मोड़ दे.१
तमोज्ञान नाशक तुम रवि हो, हमे अम्बुजन विकास दे
मंगल भवन मातु सरस्वती हो, बहुमूकन बाचाल खास दे.
सुख शान्ति पाठ पढ़ाती विधा,ज्ञान,विवेक,बुद्धि वास दे
मेरे मन की मधुर विनय सुन ,निष्ठां सा नया मोड़ दे.२
माँ सदैब वीणादाहिनी ,पुस्तक एंव माला कर रखती
विश्व उजियारा फैलाती जिह्वा अग्र भाग कृष्ण उत्पत्ति
बन भगवान नारायण की अर्धांगिनी, ब्राह्मनी प्रतिष्ठित
पुस्तकधारिणी इतना ज्ञान दें, तेरी कृपा अर्जित दौड़ दे|३ .
मेरे मन की मधुर विनय सुन ,निष्ठां का नया मोड़ दे…
माँ तुम्हारी कृपा से गणनायकविष्णु है जग के पालक
भवानी वागेश्वरी ही तुम सुखकारी शम्भु संसार घालक.
माँ सदबुद्धिं विधावल मोही दे ,जन अज्ञान हटा सृष्टि तारक.
तन जन्मभूमि हित आसरा जगाके, मन ज्ञान ज्योति मोड़ दे
देख त्रस्त संसार मानवता को माँ उद्धारशत कर जोड़ दे
मेरे मन की मधुर विनय में निष्ठां का नया मोड़ दे.
माँ शारदे वीणाधारिणी अपनी कृपा से जीवन जोड़ दे
— रेखा मोहन