कविता

वजूद

उड़ चुके हैं जो परिंदे
वो फिर लौटकर आएंगे,
मेरे पास न सही
खुदा तेरे पास तो
जरूर आएंगे।
ये सारा जहान तेरा है,
मुझ से न सही
पर तुम से तो
फिर से जरूर टकराएंगे।
जब मिले तुमको
तो पूछना ज़रा बैठकर,
जान कर भी तेरे वजूद को
तेरे ही इंसा को
फिर क्यों तड़पा रहे थे ?
जानकर भी
कि ये धरती ये आसमा
सब तेरा है
फिर क्यों किसी का
भाग्य विधाता बनकर बैठे थे?

— राजीव डोगरा ‘विमल’

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233