सबसे अनूठा सबसे प्यारा
सबसे अनूठा सबसे प्यारा, नर-नारी का संगम है।
कोई देश हो, कोई भाषा, देखो दृश्य विहंगम है।।
इक-दूजे के लिए बने हैं।
इक-दूजे के लिए तने हैं।
इक-दूजे की चाहत है बस,
शिकायत भी तो प्रेम सने हैं।
नारी नर को प्यारी पल-पल, नारी हेतु नर सिंघम है।
कोई देश हो, कोई भाषा, देखो दृश्य विहंगम है।।
पल-पल नर का साथ खोजती।
जन्म देती है और पोषती।
बेटी, बहिन माता के रूप में,
पत्नी भी तो प्रेम रोपती।
अलग-अलग नर-नारी अधूरे, मिलकर खिलते रंगम हैं।
कोई देश हो, कोई भाषा, देखो दृश्य विहंगम है।।
नर, नारी बिन रहे अधूरा।
नारी मिल करती है पूरा।
नारी बिन अस्तित्व न नर का,
नारी बनाती, उसको शूरा।
इक-दूजे के भाव ही मिलकर, जीवन भर की च्युंगम हैं।
कोई देश हो, कोई भाषा, देखो दृश्य विहंगम है।।