इज्जतदार लोग
इज्जतदार लोग
भले ही वह शहर की बदनाम औरत थी | परन्तु उसके अन्दर भी एक नेक दिल था | जिसे अक्सर लोगों ने नहीं देखा था | मैं उसकी नियति की कहानियाँ लिखने उसके पास जाता , भरे दिन के उजाले में | वह बार-बार मना करती “ तुम बदनाम हो जाओगे, मुझ संग मिलने-मिलाने से , अगर मिलना ही है मेरी नियति लिखने को तो रात के अँधेरे में आया करो | शहर के कई इज्जतदार लोग मुझसे मिलने रात के अँधेरे में आते हैं और सुबह पौ फटने से पहले चले जातें हैं | कोई उनकी तरफ अंगुली नहीं उठाता | तुम भी ऐसा ही करो |’’ उसने मुझे चेताते हुए कहा | मैं उसकी चेतावनी को नजरअंदाज करके दिन के उजाले में पाक मिलता रहा | कुछ दिनों बाद वे इज्जतदार लोग मेरे उससे मिलने की कानाफूसी कर रहे थे और मैं शहर में बदनाम हो रहा था | वो इज्जतदार लोग आज भी इज्जतदार थे |