कहानी

खिड़की वाली लड़की”

समीर का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था और उसने आज अपनी काली जीन्स व गुलाबी शर्ट प्रेस करके रखी थी कि अचानक से उसके घर के सामने वाले घर की तीसरी मंजिल की खिड़की  के खुलने की आवाज़ सुनाई पड़ी ।
जिसके सुनते ही उसकी आंखें एक टक लगाये खिड़की की ओर देखने लगी।
सामने वाले घर की  खिड़की तो खुली लेकिन समीर को जब वहां कोई नहीं दिखा तो उंसका चेहरा मुरझाया सा हो गया और वो तैयार होने लगा काली जीन्स और गुलाबी शर्ट समीर के सबसे पसंदीदा कपड़े थे।
जैसे समीर की नजर दीवार पर टँगी घड़ी की पर पड़ी तो वो खुद से ही बड़बड़ाने लगा
“अरे यार सवा आठ बजे गये हैं ,चल बेटा अब जल्दी से निकल ले आज इंटरव्यू हैं और ठीक दस बजे मुझे पहुंच जाना हैं क्योंकि ग्यारह बजे से इंटरव्यू शुरू हैं और हो सकता है  सबसे पहला नम्बर मेरा ही हो…..”
समीर झट से सीढ़ियों से उतरने लगा कि अचानक से एक बेहद खूबसूरत व मधुर आवाज उसके कानों में रस घोलती सी प्रतीत हुई।
“कहाँ जाते हो रुक जाओ…
तुम्हें मेरी कसम देखो…
मेरे बिन चल न पाओगे जानम दो कदम देखो…
अचानक से समीर के पांव जहां के तहां ही थम गये और वो वापस अपने कमरे में गया तो देखा कि सामने वाली खिड़की के उस पार आसमानी और काले सूट में एक बेहद खूबसूरत लड़की ये ग़ज़ल गुनगुना रही है।
न चाहते हुए भी समीर उसकी तरफ देखता रहा और जैसे ही उस लड़की की नजर समीर पर पड़ी तो उसने थोड़ा झेंपते हुए झट से खिड़की बन्द कर दी।
अब तो समीर का दिल और भी जोर -जोर से धड़कने लगा क्योंकि कुछ दिनों से उसके अपने कमरे में आते ही खिड़की खुलने के साथ ही यही बेहद खूबसूरत ,मधुर आवाज उसे सुनाई देती थी मगर आज तक इस मखमली आवाज़ की मल्लिका के दर्शन नहीं हो पाए थे और समीर था कि हर रोज सुबह-शाम खिड़की पर इस हसीन चेहरे को देखने को एक तपस्या सी करता रहता था और आज तो सच में ही समीर की तपस्या का फल उसे मिल ही गया।
मतलब की उसे उस मीठी व मधुर आवाज़ के बेहद खूबसूरत चेहरे को देख जो लिया था।
अब समीर ने गाड़ी में चाबी घुमायी और चल दिया अपनी मंजिल को ओर।
थोड़ी ही दूर चला था समीर की ट्रैफिक के कारण उसे अपनी गाड़ी भी रोकनी पड़ी।
अचानक से उसने जो देखा उसे उस पर यकीन ही नहीं हो रहा था और उसने झट से अपने हाथ पर च्यूटी सी भरकर देखा कि कहीं वो कोई सपना तो नहीं देख रहा।
“सुनिये……मिस्टर….”
समीर ने झट से देखा कि ये कोई और नहीं बल्कि वो खिड़की वाली मखमली व जादुई आवाज़ की मालकिन खिड़की वाली लड़की ही है।
वो बौखलाहट में झट से बोल उठा “जी….जी….कुछ कहा आपने?”
तभी वो समीर की तरफ देखते हुए बोली
“जी हां मिस्टर …
.?
“समीर ….समीर नाम हैं मेरा”।
खिड़की वाली लड़की की हंसी छूट गयी और वो बडी विनम्रता से कहने लगी।
“देखिये अचानक से मेरी गाड़ी खराब हो गयी हैं और मैंने डैड को कॉल भी किया लेकिन वो रिसीव ही नहीं कर रहे हैं और आज डैड की ऑफिस मीटिंग भी हैं तो….”
वो कुछ और बोलती उससे पहले ही समीर बोल उठा…
“जी आपको जाना कहां हैं?
“मुझे आईटी के बिल्कुल पास ही कमल इंडस्ट्री हैं बस वहीं पर जाना हैं”
ये सुनकर समीर झट से मुस्कुराते हुए बोला
“अरे तो आप मेरे साथ चलिये मैं भी उधर ही जा रहा हूँ”
तब तक ट्रैफिक भी कम हो चुका था।
समीर अब ड्राइविंग कर रहा था और वो खिड़की वाली लड़की उसके बराबर वाली सीट पर बैठी थी कि तभी उंसका मोबाइल बज उठा और वो इतना ही कह पाई कि
“जी….जी…डैड मैं बस आधा घण्टे में पहुंच जाऊंगी आप टेंशन न लें इंटरव्यू से पहले ही पहुंचती हूँ ….जी…..एक्चुअली डैड मेरी गाड़ी खराब हो गयी थी और अब किसी के साथ आ रही हूँ “।
समीर ने उससे कुछ नहीं पूछा बस यही सोचने लगा कि शायद आज इसका भी इंटरव्यू हैं।
इससे पहले कि समीर कुछ बोलता वो खुद ही समीर से पूछने लगे गयी।
“वहाँ कोई काम हैं आपको या फिर ….?”
“इंटरव्यू हैं आज मेरा” समीर ने कहा।
“ओह कोंग्रेचुलेशन …..मिस्टर समीर”
बातों-बातों में लड़की ने समीर की एजुजेशन ,उसकी पहली जॉब के तीन साल के एक्सीरियन्स के बारे में सम जानकारी ले ली।
अब वो दोनों अंदर गये और समीर अब इंतज़ार करने लगा इंटरव्यू के लिए अपनी बारी की।
अचानक से उंसका ध्यान गया और वो फिर से अपने आप से ही बड़बड़ाने लगा
“अरे वो खिड़की वाली लड़की अचानक से कहाँ गायब हो गयी? तू भी कितना पागल हैं समीर इतनी देर साथ रहा और नाम तक भी नही  पूछ पाया….रहा न बुद्धू का बुद्धू ही”
समीर ने देखा कि एक-एक करके सब कैंडिडेट जा चुके थे वहां से जो भी इंटरव्यू के लिये आये थे।
अभी तक उसे क्यों नही बुलाया गया …वो सोच ही रहा था कि तभी उसे वो खिड़की वाली लड़की मुस्कुराते हुए आपनव तरफ ही आती दिखाई दी।
समीर फिर से बड़बड़ाने लगा
“दिल तो ले ही लिया था अब लगता हैं नौकरी भी ले ही ली इसने मेरी….चल बेटा यहां अब तेरी कोई जरूरत ही नही …” वो उठकर चलने ही वाला था कि तभी फिर से उसे  कानों में रस घोलती वही मखमली,जादुई आवाज़ सुनाई पड़ी।
“अब आप ”
“जी ….अपने फ्लैट पर ही जाऊंगा ।
आपको चलना हैं तो…”?
समीर ने एक सरसरी सी निगाह उसकी तरफ डालते हुए कहा।
“जी …थंक्स आज तो आपको ही परेशानी कर दिया हैं आते हुए भी और अब इत्तफाक देखिये कि डैड अभी भी बिजी हैं तो मुझे…”
वो कुछ कहती कि समीर ही बोल उठा..
“जी चलिये मंजिल एक हो न हो मगर रास्ता तो एक हैं…”।
कहकर समीर के चेहरे पर थोडी निराशा सी छा गयी जिसे देखकर वो पूछने लगी..
“अरे…आपका तो इंटरव्यू था क्या हुआ?”
समीर ने थोड़ा परेशान होते हुए कहा
” हम्म्म्म था लेकिन …
“लेकिन क्या?”
शायद समय ही नहीं रहा होगा क्योंकि हम थोड़ा लेट भी हो गये थे तो जो वाकी थे उन्हीं का इंटरव्यू में सारा समय निकल गया”
“ओह”….
वो बस इतना ही कह पायी कि तब तक वो अपने कालोनी में एंट्री के चुके थे।
अब समीर निराश व हताश सा होकर ऊपर अपने रूम में जाकर कपड़े बदलने बिना ही बैड पर लेट गया।
और फिर से सोचने लगा कि “अक्ल के बुद्धू उंसका नाम न जाते हुए पूछा और न आते हुए ही….
तभी समीर का मोबाइल बज उठा…
“तू ही तो जन्नत मेरी …”
समीर ने कॉल रिसीव किया तो उधर से एक बेहद ख़ूबसूरत सुनाई पड़ी।
“हैलो…..”
“हैलो मिस्टर समीर बधाई हो नई जॉब के लिये”
ये सुनते ही समीर को गुस्सा आ गया और वो गुस्से को थोड़ा काबू में करते हुए बोला।
“अरे क्यों जले पर नमक छिड़क रही हो मैडम इंटरव्यू तक हुआ नहीं तो जॉब क्या खाक मिलेगी…और आप हैं कौन? आपको कैसे पता चला कि आज मेरा इंटरव्यू था”?।
तभी उधर से आवाज़ आयी कि समीर आपका इंटरव्यू तो बहुत बेस्ट रहा”
अब समीर झुंझला कर बोला..
“अरे आप हैं कौन”?
दूसरी तरफ से एक खिलखिलाहट के साथ आवाज़ आयी मैं कौन हूँ तो सुनिये जनाब मैं हूँ
खिड़की वाली लड़की”…
अब तो समीर के आश्चर्य का ठिकाना न रहा और वो कुछ सोचता कि उससे पहले ही सामने वाले घर की तीसरी मंजिल की खिड़की के खुलने की आवाज़ सुनाई पड़ी।
समीर ने जैसे ही अपने कमरे की खिड़की खोलकर देखा तो सामने खिड़की में खड़ी मुस्कुरा रही थी वो खिड़की वाली लड़की।।

— सविता वर्मा “ग़ज़ल”

सविता वर्मा "ग़ज़ल"

जन्म- १ जुलाई पति का नाम - श्री कृष्ण गोपाल वर्मा। पिता का नाम-स्व.बाबू राम वर्मा । माता का नाम-स्व.प्रेमवती वर्मा । जन्म स्थान- कस्बा छपार , मुज़फ्फर नगर (उप) शिक्षा- आई.टी,ई, कहानी-लेखन डिप्लोमा । प्रकाशन- क्षेत्रीय , अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओ में । प्रसारण- आकाशवाणी के अनेक केन्द्रों से रचनाएँ प्रसारित । लेखन विधा-कविता,कहानी,गीत,बाल साहित्य,नाटक,लघु कथा, ग़ज़ल,वार्ता, हाइकु,आदि ।। पुरस्कार,सम्मान- वीरांगना सावित्री बाई फुले फैलोशिप सम्मान-2003 देहली। * महाशक्ति सिद्धपीठ शुक्रताल सम्मान-2004। *लघु कथा पुरस्कार सामाजिक आक्रोश -2005 सहारनपुर। *शारदा साहित्य संस्था जोगीवाला राजस्थान द्वारा हिंदी साहित्य सम्मान-2004 । *भारती ज्योति मानद उपाधि -2007 इलाहाबाद । *नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड देहली द्वारा समाज सेवा हेतु -2008 । *भारती भूषण सम्मान-2008 इलाहाबाद । *विनर ऑफ़ रेडियो क्विज़ ” दिल से दिल तक ” 20012 । *कहानी "नई दिशा" को "डा.कुमुद टीक्कु" प्रथम पुरस्कार -2014 अम्बाला छावनी। *गुगनराम एजुकेशन एन्ड सोशल वेल्फेयर सोसायटी बोहल द्वारा पुस्तक “पीड़ा अंतर्मन की” पुरस्कृत -2014 । *आगमन एक खूबसूरत प्रयास द्वारा सम्मान-2014 । *उत्कृष्ट साहित्य एवम् काव्य भूषण सम्मान-2015 खतौली। *नगर पालिका मुज़फ्फर नगर द्वारा सम्मान-2015 *साहित्य गौरव सम्मान ,नई दिल्ली -2015 ! *राष्ट्रीय गौरव सम्मान-लखनऊ-2015 ! *कस्तूरी कंचन सम्मान-नोयडा-2015 ! *लघु कथा "कमला"वूमेन एक्सप्रेस" द्वारा सम्मानित ! *सामाजिक संस्था “प्रयत्न” द्वारा “नारी शक्ति रत्न” सम्मान 2015 । *“आगमन साहित्यिक एवम् सांस्कृतिक संस्था द्वारा “विशिष्ठ अतिथि सम्मान” 2015 । *"आगमन गौरव सम्मान-2016 *"साहित्य कुमदिनी सम्मान" 2017 (गज केसरी युग,गाजियाबाद द्वारा ) *"आगमन तेजस्वीनी सम्मान-2018 ! "श्रीमती सरबती देवी गिरधारीलाल साहित्य सम्मान-2019 (गुगनराम एजुकेशन एण्ड सोशल वेलफेयर सोसायटी बौहल हरियाणा द्वारा ) *विशेष—नारी सशक्तिकरण पर बनी फ़िल्म “शक्ति हूँ मैं” में अहम भूमिका। *पुस्तक- “पीड़ा अंतर्मन की” प्रकाशन-2012। *संपादन- काव्य शाला (काव्य सन्ग्रह), "कस्तूरी कंचन " काव्य संग्रह ! अहसास (ग़ज़ल संग्रह) , समर्पण-5(काव्य संग्रह)। “श्रोता सरगम” वार्षिक पत्रिका। "भाव कलश" काव्य संग्रह । सम्बन्ध- “प्रयत्न” सामाजिक संस्था मुजफ्फरनगर सदस्य॥ “अखिल भारतीय कवियित्री सम्मेलन " आजीवन सम्मानित सदस्या । "वाणी" एवम "समर्पण" साहित्य संस्था ( मुजफ्फरनगर )सहित अनेक सहित्य संस्थाओं की सदस्या । सम्पर्क- सविता वर्मा "ग़ज़ल" श्री कृष्ण गोपाल वर्मा , 230,कृष्णापुरी , मुज़फ्फर नगर,पिन-251001 (उप्र) ई मेल [email protected] मोबाइल-08755315155