गीत/नवगीत

नारी की माँगो के आगे

कैसा प्यार, नहीं हैं समझे, माँगों का खुला पिटारा है।
नारी की माँगो के आगे, नर सदैव ही हारा है।।

प्रेम प्रदर्शन करती भारी।
अंगों से है उतरी सारी।
मुस्कान की आरी चलती,
नर की मति जाती है मारी।
नारी से पीड़ित नर को भी तो नारी का ही सहारा है।
नारी की माँगो के आगे, नर सदैव ही हारा है।।

कभी प्रेम से पागल करती।
सब कुछ सौंप समर्पण करती।
नजरें जब टेढ़ी करती है,
बड़ों-बड़ों के होश है हरती।
घायल करती, मरहम बनती, बच्चे जैसा दुलारा है।
नारी की माँगो के आगे, नर सदैव ही हारा है।।

रस्सी बिन बांधे नर को।
पूरण करती है जीवन को।
प्रेम में करती सब है अर्पण,
कपट मात देती नर को।
नर ने अपने कदम-कदम पर, नारी को ही पुकारा है।
नारी की माँगो के आगे, नर सदैव ही हारा है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)