मछली बाज़ार
गलती उसी से होती है,
जो कार्य करते हैं !
वरना निकम्मे की
जिंदगी,
दूसरे की बुराई
करने में
निकल जाती हैं !
मुझे आजतक
जो भी मित्र मिले,
उनमें अधिकांश
स्वार्थी मिले..
निःस्वार्थ वाले
मित्रो का प्रतिशत
अत्यंत कम है..
तुम मेरी हँसी हो
और खास भी,
तुम मेरी हो,
बिल्कुल पास भी !
हम मनुष्य हैं,
बावजूद
अपने नाम के साथ
उपनाम के रूप में
पशु (सिंह) का नाम
जोड़े रखते हैं !
हम बिछुड़े हैं,
तभी हम पिछड़े हैं !
जगह उपलब्ध
नहीं कराए जाने से
मनिहारी के
नवाबगंज चौक सटे
सड़क पर है
मछली बाज़ार !
दुर्गंध से पैदल राही
परेशान !
वीआईपी का घर
है पास !
गरीब राजा के सपूत
‘तेजस्वी’ के
विलासितापूर्ण बंगला में
अब एक और
सुशील ‘गरीब’
रहने को आये !
हरतरफ से
गरीबों के साथ
मज़ाक !