कविता

प्रेरणा

तुम से प्रेरणा पा,
नन्हे नन्हे कदमों से,
इंसान ऊंचाईयों का,
सफर तय कर जाता है।
कितने बड़े बड़े ,
कामों को,
पलों में कर जाता है।
धरती से चांद तक की,
दूरी तय कर जाता है।
लेकिन
हे ईश्वर…….
तुम्हारे आगे खड़े होने पर,
हर उड़ान को,
बौनी ही पाता है ।
तुमसे प्ररेणा पा,
नन्हे -नन्हे हाथों से,
बंजरो को आबाद,
 कर जाता है।
समंदरों से पहाड़ों तक,
पुलों को खींच आता है।
दुनियां के दुर्लभ,
संसाधनों को ढूंढ लाता है।
लेकिन ……
हे ईश्वर…….
तुम्हारे आगे खडे होने पर,
हर उडान को बौनी ही पाता है ।
तुमसे प्रेरणा पा…….
नन्हें-नन्हे विचारों से,
ग्रंथों को भर जाता है,
अपनी सोच की सीढी़ से
जीवन और मृत्यु के,
प्रश्न को हल तो कर जाता है।
लेकिन तुम तक नहीं पहुंच पाता है।
तुम्हारे आगे….
ऊंची से ऊंची हर उड़ान को,
बौनी ही पाता है।
— प्रीति शर्मा “असीम “

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- [email protected]