तो क्या आश्चर्य ?
काजल की कोठरी में
कोई भी सयाना जाएंगे ,
तो उसे थोड़ी-सी भी काजल
लगेंगे ही ।
‘इंसान’ की उत्पत्ति
अरबी शब्द ‘निसयान’ से हुई है ।
भावार्थ है,
निशा में विचरण करनेवाला
यानी निशाचर ।
ध्यातव्य है,
रावण ब्राह्मण थे ।
कथ्य है,
वाल्मीकि रामायण में
‘बुद्ध’ शब्दोल्लेख,
वेद में ‘नाई’ शब्दोल्लेख,
एक ही समय
श्रीविष्णु के अवतार
श्रीराम और आचार्य परशुरामजी का
एक-दूसरे के प्रति क्रोधित होना,
खड़ाऊँ यानी एक तरह के चप्पल का
14 वर्ष तक राज करना,
अत्यल्प उम्र की
अभिमन्यु-पत्नी उत्तरा के द्वारा
गर्भधारण,
शकुनि और युद्धिष्ठिर के बीच
जुए का ओलंपिक होना,
दृष्टिहीन का भारत-सम्राट बनाना,
कुम्भकर्ण जैसे विस्मित पात्र से
भेंट कराए जाने से लगता है,
भविष्य में
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद अगर ‘ब्रह्मा’,
गाँधी जी अगर ‘विष्णु’,
राजा विक्रमादित्य ‘इंद्र’,
स्वामी विवेकानंद ‘शिव’,
थेल्मा टाटा ‘लक्ष्मी’,
हेमा ‘पार्वती’
और सरोजिनी नायडू, लता मंगेशकर
अगर ‘सरस्वती’ भी कहलाये,
तो क्या आश्चर्य ?