हाइपरलूप तकनीक से चलनेवाली ट्रेन हवाई जहाज से भी तेज चलेगी !
हाइपरलूप तकनीक ट्रांसपोर्टेशन का आधुनिकतम् या पाँचवा सबसे आधुनिकतम् ट्रांसपोर्टेशन का सिस्टम या तकनीक है,यह परिवहन व्यवस्था अब तक के परिवहन व्यवस्था में सबसे तेज होगा,इस परिवहन से पर्यावरण पर भी न्यूनतम बुरा असर पड़ेगा। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि 2040 तक जब दुनिया भर में कारों,ट्रकों और वायुयानों की संख्या दोगुनी हो जाएगी,तब यह हाइपरलूप तकनीक दुनिया के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी।
क्या है हाइपरलूप तकनीक ?
‘हाइपरलूप तकनीक में एक मैटेलिक बेहद पतले लेकिन बहुत मजबूत ट्यूब के भीतर हाइपरलूप को उच्च दाब और ताप को सहने की क्षमता वाले इंकोनेल से बने बेहद पतले स्की पर स्थिर किया जाता है,इस स्की में छिद्रों के जरिये हवा भरी जाती है,जिससे यह एक एयर कुशन या हवा के गद्दे की तरह काम करने लगता है,स्की में लगे चुम्बक और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक झटके से हाइपरलूप के पॉड को गति दी जाती है,यही हाइपरलूप सिस्टम या तकनीक है,दूसरे शब्दों में लगभग निर्वात ट्यूब में किसी यात्री या सामान से भरे पॉड को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पॉवर से अत्यधिक गति बढ़ा देने की तकनीक ही हाइपरलूप तकनीक या टेक्नोलॉजी है। ‘
हाइपरलूप टेक्नोलॉजी से ट्यूब में चलनेवाली यह हाइपरलूप ट्यूब ट्रेन हवाई जहाजों से भी तेज गति से मतलब लगभग 1224 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से अपने गंतव्य तक पहुँचा देगी,उदाहरणार्थ मुंबई से पुणे की बीच की लगभग 150 किलोमीटर की दूरी एक साधारण ट्रेन लगभग 2.5 घंटे में तय करती है,लेकिन हाइपरलूप ट्यूब रेल उसे मात्र 25 मिनट में तय कर लेगी ! इसी प्रकार विजयवाड़ा से अमरावती जाने में सामान्य ट्रेन पूरे 1 घंटे का समय ले लेती है,परन्तु हाइपरलूप सिस्टम आधारित ट्रेन यह दूरी मात्र 6 मिनट में तय कर लेगी ! हाइपरलूप सिस्टम में एक ट्यूब मॉड्यूलर ट्रांसपोर्ट सिस्टम है,जो लगभग घर्षणमुक्त होकर चलेगा। यह सिस्टम एक यात्री या कार्गो वाहन को एयरलाइन की गति के बराबर या उससे भी ज्यादे गति से एक स्तरीय ट्यूब के माध्यम से निकट-वैक्यूम के एक रैखिक विद्युत मोटर का उपयोग करके गति प्रदान करती है। इसमें सवारी या सामान के परिवहन के लिए लो प्रेशर ट्यूब और इलेक्ट्रिकल प्रोपेल्सन का उपयोग किया जाता है, पैसेंजर कैप्सूल वैक्यूम ट्यूबों की तरह हवा के दबाव से नहीं चलता,अपितु यह दो विद्युत-चुम्बकीय मोटरों की शक्ति द्वारा चलता है,इसकी सहायता से यह 1224 किलोमीटर / प्रतिघंटे की स्पीड कुछ सेकेंडों में ही प्राप्त कर लेता है। विशेष प्रकार से डिजाइन किए गए कैप्सूल या पॉड्स का इस तकनीक में प्रयोग किया जाता है,इसी पॉड्स या कैप्सूल में यात्रियों को बैठाकर इस पॉड्स को जमीन के ऊपर पारदर्शी पाइप,जो काफी विशाल होंगे,में डालकर,उसको इलेक्ट्रोमैग्नेट की शक्ति से चलाया जाएगा,चुम्बकीय शक्ति से ये यात्रियों से भरे पॉड्स अपने ट्रैक से कुछ ऊपर उठ जाएंगे, इसी कारण से इस हाइपरलूप ट्रेन में घर्षण बल शून्य हो जाएगा,यात्रियों से भरे पॉड्स को हाइपरलूप वाहन में एक कम दबाव वाली ट्यूब के अन्दर उत्तरोत्तर विद्युत प्रणोदन या इलेक्ट्रिक प्रोपेल्सन के माध्यम से उच्च गति प्रदान की जाती है,जो अल्ट्रा-लो-एयरोडॉयनामिक-डैग के परिणामस्वरूप लम्बी दूरी तक हवाई जहाज से भी तेज गति से दौड़ेंगे।
हाइपरलूप सिस्टम में ट्यूब की पटरियों में वैक्यूम होता है,लेकिन पूरी तरह से हवा से मुक्त नहीं होता है,बल्कि उसके अन्दर कम दबाव वाली हवा उपस्थित रहती है,एयर ट्यूब के माध्यम से चलनेवाली अधिकांश वस्तुओं को नीचे लाने के लिए हवा को संपीडित या कॉमप्रेस्ड करना पड़ता है,जिससे हवा की एक पतली परत उपलब्ध हो जाती है,जो उस वस्तु की गति को धीमा कर देती है,लेकिन हाइपरलूप सिस्टम में कैप्सूल के सामने एक कंप्रेसर पंखा लगा होता है,जो हवा को कैप्सूल के पीछे भेजता है,लेकिन अधिकांश हवा को एयर बायरिंग में भेजता है। एयर बायरिंग में स्की पैडल होते हैं,जो घर्षण को कम करने के लिए ट्यूब की सतह के ऊपर कैप्सूल को उठाए रखते हैं। ट्यूब ट्रैक को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि वह आंधी,तूफान और भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाओं के समय भी प्रतिरोधक का काम करता है और इन प्राकृतिक आपदाओं में भी जानमाल को बिल्कुल सुरक्षित रखता है ! हाइपरलूप ट्रेन की ट्यूब उँचे खंभों द्वारा जमीन से काफी ऊँचाई पर रहती है। इनमें एक छोटा फुटप्रिंट लगा होता है,जो भूकंप जैसे प्राकृतिक और अचानक आए संकटकाल में झुक जाता है और हाइपरलूप ट्रेन को इसके मय मुसाफिरों के सुरक्षित बचा लेने की क्षमता से लैश होता है। इसके अतिरिक्त ट्यूब ट्रैक के ऊपरी भाग में स्थित सोलर पैनल से नियमित रूप से इसके मोटरों को उर्जा विद्युत के रूप में मिलती रहती है। हाइपरलूप ट्रेन में वास्तव में इसके कैप्सूल और पॉड्स को एक पारदर्शी ट्यूब पाइप के अन्दर उच्च वेग से संचालित किया जाता है,इस तकनीक में बड़े-बड़े पारदर्शक पाईपों के अन्दर वैक्यूम तैयार करके लगभग वायु की अनुपस्थिति में पॉड्स जैसे वाहनों को अत्यधिक स्पीड से गतिमान करके कार्यान्वित किया जाता है,इसके मैग्नेटिक ट्रैक पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रभाव से पॉड्स को ट्रैक से कुछ ऊपर उठाकर,जिससे इसको घर्षणबलमुक्त करके इसकी गति को उत्तरोत्तर बढ़ाकर इसकी गति को साधारण ट्रेनों से लगभग 12 गुना और साधारण यात्री विमानों से भी लगभग डेढ़ गुना गति को बढ़ाकर अपने गंतव्य तक पहुँचाने की तकनीक इस्तेमाल की जाती है।
यह अमेरिका में कैलिफोर्निया आधारित हाइपरलूप परिवहन प्रौद्योगिकी या हाइपरलूप ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजी या एचटीटी प्रौद्योगिकी है,जिसे भारत में इसका सर्वप्रथम उपयोग आंन्ध्रप्रदेश की नई राजधानी अमरावती जैसे आधुनिकतम् शहरों में उपयोग में लाया जाएगा, भविष्य में इस प्रणाली से देश के तमाम बड़े शहरों उदाहरणार्थ दिल्ली,कोलकाता,बेंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई,चेन्नई आदि को एक-दूसरे से जोड़ने में किया जाएगा,हाइपरलूप कैप्सूल पॉड में एक बार में 6 से 8 व्यक्ति यात्रा कर सकते हैं,ये कैप्सूल चालक रहित होंगे,जो 1000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से भी ज्यादे गति से चलनेवाले पॉड की गति को नियंत्रित करने के लिए रैखिक प्रेरण मोटरों मतलब लाइनर इंडक्शन मोटर्स को ट्यूब से संबद्ध करके,उसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मदद से त्वरण और ब्रेक को इलेट्रोनिकैली एसिस्टेड एक्सेलेरैंस ऐंड ब्रेकिंग सिस्टम कैप्सूल की गति को कंट्रोल करने में मदद करेंगे। इस प्रकार हाइपरलूप ट्रेन भविष्य में यात्रा करने का सबसे सुविधाजनक,सबसे तेज और सबसे सुरक्षित यातायात का साधन बनने जा रहा है।
— निर्मल कुमार शर्मा