शीर्षक :- कुंडलिया छंद
रचना रब की श्रेष्ठ है,मनुज धरा पर एक।
स्वार्थ लिए नीचा हुआ,भूल परमार्थ नेक।।
भूल परमार्थ नेक,दंभ में जीवन जीता।
परहित समझे नाज़,वही सच समझे गीता।
सुन प्रीतम की बात,जाति ना भुजबल रखना।
शक्ति शील सौंदर्य,युक्त अतिउत्तम रचना।
सारिका “जागृति”
सर्वाधिकार सुरक्षित
ग्वालियर (मध्य प्रदेश)