सम्मान पत्रम का नमूना
आज हमारे मार्गदर्शक, परम श्रद्धेय शिक्षक, वरीयतम सहकर्मी, कटिहार जिला के मनसाही प्रखंडान्तर्गत राघोपुर के लाल और पन्ना लाल सुरेंद्र नारायण बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के निवर्तमान प्राचार्य जनाब मो. सईदुर रहमान साहब शासकीय नियमों की बाध्यता के कारण सेवानिवृत्त हो रहे हैं। हालाँकि सैनिक, शिक्षक और अश्व न तो टायर्ड होते हैं, न ही रिटायर्ड।
हे श्रद्धेय ज्ञाननिधि !
हमारे तन नीड़ के नेह की रमण मंदिर के मणि दीप, मस्जिद से निकली अज़ान स्वर की आस्थात्मक शब्दधनी एवं शिक्षार्थियों के पलकों की पालकी में शिक्षा-मुस्कान की मोती लुटानेवाले ‘परमादरणीय’ को अश्रुपूरित नयनों से यह सम्मान पत्र अपने हृदय स्पंदन के साथ समर्पित करते हैं । यह अभिनंदन-पत्र परम श्रद्धेय को अभिवादन लिए उपस्थित सभी ज्ञानवीथियों के समक्ष यह विद्यालय परिवार सादर अर्पित करते हैं।
हे प्रज्ञा के प्रखर महानुभाव !
आपके सेवानिवृति से हम भावुक हैं, भावनाओं की प्रबलता होने से वाणी मूक हो गई हैं और दृग भींगकर सूज गये हैं । फिर भी कबीर की यह वाणी मुझे संबल प्रदान कर रही है-
‘मन मुरीद संसार है गुरु मुरीद कोई साध।
जो माने गुरु वचन को ताका मता अगाध॥’
हे बुद्धि-विद्या के अनन्य उपासक !
आप शैक्षणिक मधुवन के प्राणों के प्राण हैं । आपकी पारदर्शी मेधा का दीपमणि सरकारी विद्यालय के ज्ञान गगन का श्रृंगार है । आपके मानस मंदार से फूटनेवाली प्रतिभायुक्त वर्षाजल की रागिनी और बुद्धि-विद्या की मधुर झंकार लिए है । आपके ज्ञान-कलश से छलकते रस का छककर जिसने रसपान किया, वह हो गया ज्ञान का दिनमान और विवेक का वागीश। आपके जैसा पारदर्शी चरित्रवान और कुशल समय प्रबंधक फिर कहाँ खोज पाऊँगा?
हे विनीत विनम्रकुलश्रेष्ठ अविरामस्वामी !
आप हैं कला के कलाधर, विद्या के वारिद और रेणु की मणिमाला में मेरु के मनका गूँथनेवाले कुशल कलावंत । वस्तुत: आप आधुनिक युग के भगीरथ जिनके तप त्याग के तटों में बंधकर सफलता की परिभाषा सृजित हुई और शिक्षार्थियों सहित सहकर्मियों को सींच-सींचकर उसे पुष्पित एवं पल्लवित कर किया है। आप सदा निर्भीक, निर्विवाद, निष्कलंक, निश्छल और निःस्पृह रहे और आपका पासंग गुण भी हममें आ जाए, तो इसतरह की कल्पना मात्र से ही हम सबों का मन रोमांचित हुए जा रहे हैं।
हे दार्शनिक मार्गदर्शक !
आप कक्षा में अध्ययनशील प्रवक्ता तो रहे हैं, तो किशोरावस्था में खेल के मैदान में भी आप एक आदर्श खिलाड़ी रहे। आपके शायर मन और मनोविनोदी स्वभाव को हममें सद्कार्य करने, अनुशासन के महत्व को समझने, सहनशील रहने की ताउम्र प्रेरणा मिलती रहे, यही प्रबुद्ध कामना है। हमें हर्ष और विषाद दोनों हो रहे हैं, विषाद इसलिए कि ऐसे सदाचारी अध्यापक हमसे जुदा हो रहे हैं ।
हे स्नेह सलिल के सरस सृजक !
आपने अपने कर्तव्यों का पालन सहृदय होकर सहज और शालीन बनकर किया और कभी अपने को सहकर्मियों से श्रेष्ठतर भी समझने की कोशिश नहीं किया। वही अपनापन, वही प्यार चाहे गलतियाँ कितनी ही बड़ी क्यों न हो । आपका कुशल मार्गदर्शन और अभिभावकत्व हमें हमेशा मिलते रहे , इसलिए आपके सुखद, स्वस्थ, मंगलमय और नाबाद शतायुजीवन की कामना करते हैं। आप जहाँ भी रहे, शिक्षा और विशेषत: बालिका शिक्षा के प्रति समर्पित रहें, यही पाथेय कामना है। महाशय, हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि आपकी कृपादृष्टि और प्रेम हमारे प्रति सदैव बना रहे तथा आप ताउम्र अनथक शिक्षा का प्रसार करते रहें, विद्यालय परिवार से आपको अनगिनत और हृदस्पंदित शुभमंगलकामनाएँ !
हम हैं आपके-
विद्यालय परिवार ।