कविता

सूरत

दिनांक 2८ फरवरी 2021
विषय सूरत
विधा कविता

कविता कहूं
ग़ज़ल कहूं
या संगमरमर का महल कहूं
कवि की कल्पना कहूं
या प्रेम पत्र की नायिका लिखूं
शरद की पूर्णिमा लिखूं
या इतराती फूल गुलाब लिखूं
भोर की लालिमा लिखूं
या पर्ण पर पड़ी ओस लिखूं
जमी पर बिखरे श्वेत मोती लिखूं
या नदी सी बलखाती जवानी लिखूं
सारे शब्द लगते हैं ओछे
जब अल्हड़ जुल्फों को तु फेंके
आंखों को कमल लिखूं
या अविरल शांत झील लिखूं
मेरी सारी कल्पना रह जाती धरी की धरी
जब परदों की ओट से दिखे तेरी #सूरत भली।

स्वरचित सविता सिंह मीरा
झारखंड जमशेदपुर

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]