जितने भी सम्मान हैं, जग में,
जितने भी सम्मान हैं, जग में, सबसे ऊपर माता है।
शहीद होता सीमा पर सैनिक, माँ! का सपूत कहलाता है।
नारी से ऊपर है माता।
पत्नी से भी, ऊपर माता।
जन्मदात्री नहीं है केवल,
प्राणों से, पाले है माता।
प्रसव पीड़ा सह जीवन देती, सैनिक बस खून बहाता है।
जितने भी सम्मान हैं, जग में, सबसे ऊपर माता है।।
माता केवल जन्म न देती।
पल-पल पाले सब सह लेती।
प्रसव भार सह प्रसव वेदना,
जीने के संस्कार भी देती।
माँ को आँचल, नद है प्रेम का, पल-पल प्रेम लुटाता है।
जितने भी सम्मान हैं, जग में, सबसे ऊपर माता है।।
दुनिया में सबसे टकराये।
मृत्यु को भी आँख दिखाये।
मातृत्व सुख के आगे माता,
स्वर्गिक सुख को भी ठुकराये।
राष्ट्रप्रेमी, माँ के चरणों में, जीवन पुष्प चढ़ाता है।
जितने भी सम्मान हैं, जग में, सबसे ऊपर माता है।।