बस्ता कंधे पर फिर आया
बस्ता कंधे पर फिर आया ।
मन मेरा फिर से हर्षाया ।
सज धज कर हम हैं तैयार।
पापा चलो निकालो कार।
हम अपने स्कूल चलें ।
मन मे लाखों फूल खिले ।
पर कोरोना गया नही ।
लेकिन डरना यहां नहीं ।
नियम सभी हम मानेंगे ।
संयम को अपनाएंगे ।
दूरी और सफाई रखके।
कोरोना को मारेंगे ।
लगन और विश्वास ,परिश्रम ।
जीवन का ये मंत्र सफलतम।
इसी मन्त्र की बांह पकड़ के।
आगे बढ़ते जाएंगे ।
शिक्षक, माता, पिता देश का ,
हरदम मान बढाएंगे ।
— मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”