दो पल की है जिंदगानी ये मत दिल में यूँ खार रखो
हर बंदा है ईश्वर का अंश बस सबसे तुम प्यार करो!
मुल्क पडोसी बने हुए हैं ,,,,,……शत्रु सारे भारत के
बहुत जताई मित्रता तुमने लेकिन अब प्रतिकार करो!
जब जब धरती पर आए ये आफत कितनी विपदाएँ
खुद की रक्षा करते- करते,… औरों पर उपकार करो!
खुद ही हर मुश्किल से जूझो हिम्मत ऐसी यार करो
खूँ के प्यासे दुश्मन से भी लड़ने को यूँ तैयार करो !
जो मज़हब की आग लगा स्वार्थ स्वयं का सिद्ध करें
ऐसे देशद्रोहियों के लिए सौ- सौ बार धिक्कार करो!
निजभाषा , निजदेश , निजभूमि पर ये जाँ लुट जाए
अपनी मंजिल पाने खातिर मत इनका व्यापार करो!
— सीमा शर्मा सरोज