सहेज पाना
सोचती हूँ
कि देवी सरस्वती ने
स्वयं काया धारण कर
सृष्टि में
अवतरित होने की
ठानी होगी,
तभी सरस्वती
बाबा विश्वनाथ की
गिरिजा बन
काशी में
अवतरित हुई होंगी!
विन्ध्याचल मंदिर में
पहली बार दर्शन हुए थे।
विंध्यवासिनी मां के
रूप तेज जैसा ही रूप
और तेज था
हमारी अप्पा के
व्यक्तित्व में!
देवी की नाक में
झूलती बड़ी नथ
और अप्पा की
हीरे की लौंग में
एक सा सम्मोहन था!
महान गायिका को
सादर नमन
और श्रद्धांजलि !
आप ‘माँ’ को
सँजोकर
नहीं रख सकते !
माँ का पूरा जीवन
घर की
एक-एक पुरानी चीज में
फैला पड़ा है !
आप कितनी चीजों को
‘सहेज’ पाओगे!
हाँ, आप पिता के
विकल्प खड़े
कर सकते हो,
किन्तु माँ तो
इकलौती ही आयी है!