फणीश्वरनाथ रेणु जन्मशताब्दी
4 मार्च को रेणुजी के जन्मदिवस पर सादर नमन । वर्ष 2021 रेणुजी का जन्म शताब्दी वर्ष है। ….तो वहीं 5 मार्च को मेरा है, इस दृष्टि से मैं रेणुजी के अनुज होने के नाते अपनी पीठ स्वयं थपथपा लेता हूँ !
देश के, हिंदी के, किन्तु खासकर बिहार, कोसी और अररिया के साहित्यरत्न, साहित्य अकादेमी सम्मान से पहले ही फणीश्वरनाथ रेणु प्रणीत ‘मैला आँचल’ की फलक अंतरराष्ट्रीय पहचान लिए स्थापित हो चुकी थी, किन्तु वह फ़ख्त स्वतंत्रता के बाद भारत के एक गाँव की सामाजिक सरोकार लिए कहानी भर है, जो प्रायशः गाँवों में कुछ न कुछ देखी जा सकती है । परंतु हाँ, ‘मैला आँचल’ के गाँव के कुछ बगल से एक अंतरराष्ट्रीय सीमा परिदृश्य कराया गया है । रेणुजी की भाषा विशुद्ध हिंदी नहीं, अपितु हिंदी, बांग्ला, नेपाली, मैथिली सहित कई क्षेत्रीय भाषाएँ, यथा- अंगिका, सुरजापुरी, सीमांचली इत्यादि लिए है । यह कोई आंचलिक नहीं है, अपितु कबीरदास की भाँति भाषाओं की खिचड़ी भर है, जो सीमांचल और नेपाल की तलहटी पर बोली भर जाती है यानी 4 मार्च उनका जन्मदिवस है, सादर नमन !
उनके निधन के समय मैं 2 बरस का रहा होऊँगा, मेरा जन्मदिवस उनके जन्मदिवस के मात्र एक दिन बाद है यानी 5 मार्च । इस 5 मार्च को उड़ीसानायक बीजू पटनायक, म.प्र. नायक शिवराज सिंह चौहान इत्यादि विभूतियों के भी जन्मदिवस हैं।
मैं रेणुजी बन सकता हूँ या नहीं ! यह यक्षप्रश्न हो सकता है, क्योंकि तुलना करना बुड़बकी भर है और किसी से आगे निकलने में व्यक्तित्व की चर्मोत्कर्षता लिए होता है । मैं जन्म से लेकर आजतक किसी भी नशा का सेवन नहीं किया है, जबकि रेणुजी खुद के पियक्कड़ होने का कई बार उल्लेख किया है । उनके द्वारा अत्यधिक मात्रा में दारू पीने की वजह से ही उन्हें टीबी हो गया था और अंततः उनकी दैहिक लीला समाप्त हो गई थी।
….कुछ ज्यादा कह गया, तो क्षमा करना । साथ ही स्वयं के जन्मदिवस पर ख़ुद का पीठ थपथपा रहा हूँ … इसे भी मेरे सुधि मित्रों द्वारा निश्चित ही नज़रअंदाज़ कर दिया जाएगा !