सियासत—- रियासत—- विरासत
बाँटती जो फिर रही है धर्म के आधार पर,
खूब जमकर हमलड़ेंगे उस सियासत के खिलाफ।
हर तरफ फैला रही जो मज़हबी फितना फसाद,
सेकुलर परचम उठेगा उस रियासत के खिलाफ।
ना अहल आगे बढ़ाती अहलियत जो भूलकर,
आखिरी दम तक रहेंगे उस विरासत के खिलाफ।
— हमीद कानपुरी