गीतिका/ग़ज़ल ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 07/03/2021 आस से गुज़रो, पास से गुज़रो। शिद्दत वाली, प्यास से गुज़रो। मत रोज़ ही, त्रास से गुज़रो। नाचो – गाओ, रास से गुज़रो। आती – जाती, साँस से गुज़रो। आम नहीं ‘जय’, ख़ास से गुज़रो। — जयकृष्ण चांडक ‘जय’