गीतिका/ग़ज़ल

मान लो आज

मान लो आज दिल की बात चले आओ तुम
बहके बहके से हैं जज़्बात चले आओ तुम
ज़र्रा ज़र्रा है यूं तन्हाईयों में डूबा सा
काश हो जाए मुलाकात चले आओ तुम
कानों में गूंज रहे सुर तेरे तरानों के
आंखों से हो रही बरसात चले आओ तुम
जीने न देंगे हमें काफ़िले बहारों के
आज बस में नहीं हालात चले आओ तुम
चांदनी रात है सबा में तेरी खुशबू है
नामुनासिब से ख़यालात चले आओ तुम
जिंदगी के ख़िले गुलज़ार जरा देखो तो
बीत जाएं न ये लम्हात चले आओ तुम
— पुष्पा ” स्वाती “

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है