मान लो आज
मान लो आज दिल की बात चले आओ तुम
बहके बहके से हैं जज़्बात चले आओ तुम
ज़र्रा ज़र्रा है यूं तन्हाईयों में डूबा सा
काश हो जाए मुलाकात चले आओ तुम
कानों में गूंज रहे सुर तेरे तरानों के
आंखों से हो रही बरसात चले आओ तुम
जीने न देंगे हमें काफ़िले बहारों के
आज बस में नहीं हालात चले आओ तुम
चांदनी रात है सबा में तेरी खुशबू है
नामुनासिब से ख़यालात चले आओ तुम
जिंदगी के ख़िले गुलज़ार जरा देखो तो
बीत जाएं न ये लम्हात चले आओ तुम
— पुष्पा ” स्वाती “