क्या बंगाल में परिवर्तन तय हो चुका है?
पश्चिम बंगाल सहित पंाच प्रांतों में विधानसभा चुनावों की रणभूमि सज चुकी है। इस बार पूरे देशभर की निगाहें बंगाल के चुनावों में लगी हैं और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि 2021 के बंगाल विधानसभा चुनावों के परिणाम 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि को तैयार करने की आधारशिला भी रखेंगे। यही कारण है कि इस बार बीजेपी ने बंगाल विजय के लिये पूरी ताकत व सभी संसाधन झोंक दिये हैं। जब से दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए को दो बार पूर्ण बहुमत मिला है तभी से बीजेपी के कदम बंगाल में आगे बढ़ने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के प्रयास अब अपना असर दिखलाने लग गये हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में पहली बार बीजेपी के 18 सांसद चुने गये। बीजेपी का वोट प्रतिशत भी लगभग 40 तक तक पहंुच गया है और विधानसभा में तीन विधायकों वाली बीजेपी ने इस बार अबकी बार दो सौ पार का नारा दे दिया है। एक समय था जब बंगाल में बीजेपी को अपना कार्यालय खेलने के लिए एक कमरा तक नसीब नहीें हो रहा था और अब उसी बंगाल में बीजेपी कोलकाता के ऐतिहासिक बिग्रेड मैदान में लाखों लोगो भीड़ के साथ ऐतिहासिक रैलियां कर रही हैं। बंगाल की धरती पर बीजेपी के कार्यकर्ता व समर्थक भारतमाता की जय, वंदेमातरम और जयश्रीराम के नारे लगा रहे हैं। बंगाल में एक समय जयश्रीराम का नारा सुनाई पड़ना बहुत ही आश्चर्य की बात माना जाता था, लेकिन अब बंगाल में यही नारा परिवर्तन का नारा बन चुका है। हालांकि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व वामपंथियों को जयश्रीराम के नारे से अभी भी बहुत ही अधिक चिढ़ है। यह सभी सेकुलर ताकतों के लिए चिंतनीय व शोचनीय है कि आज बंगाल में चारो ओर जयश्रीराम के नारे सुनायी पड़ रहे हैं आम जनमानस में परिवर्तन के लिए जबरदस्त उत्साह भी दिखलायी पड़ रहा है। बंगाल की धरती पर बीजेपी के 130 से अधिक कार्यकर्ता शहीद हो चुके हैं तथा कितने ही घायल हो चुके हैं।
कोलकाता का ऐतिहासिक बिग्रेड मैदान का इतिहास भी एक रोमाचंकारी इतिहास रखता है। इस मैदान में आने वाली भीड़ व उसका उत्साह देश व बंगाल की सियासी दशा व दिशा को तय कर देता है। कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में कभी वामपंथी विचारधा के नेताओं की दहाड़ सुनायी पड़ती थी। फिर कांग्रेस से बगावत करने के बाद ममता बनर्जी सरीखी नेता का जन्म हुआ और उन्होंने भी इसी मैदान पर वामपंथ को उखाड़ फेंकने के लिए कई बार बहुत विशाल रैलियां करीं और कई बार मैदान को पूरी तरह से भर दिया था जिसके कारण ही बंगाल से वामपंथ की विदाई हो सकी। आज बंगाल में वामपंथ की ताकत बहुत ही कम हो चुकी है। कांग्रेस वामदलों के सहारे अपनी राजनैतिक जमीन को तलाश रही है। कांग्रेस वामदलों का गठबंधन बंगाल में चुनाव को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहा है। इन सभी बीजेपी विरोधी दलों का मूल मंत्र मुस्लिम तु ष्टिकरण है तथा अभी तक बंगाल चुनावों को लेकर जितने भी सर्वे आ रहे हैं उसमें राज्य में सरकार बनाने में मुसलमान ही मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि बंगाल में बीजेपी की रैलियों व रोड शो में उमड़ रही भारी भीड़ व अपनी ही पार्टी में लगातार हो रही बगावत के बीच भी ममता बनर्जी अपनी सरकार एक बार फिर बनने के लिए आश्वस्त नजर आ रही हैं।
लेकिन 7 मार्च 2021 का दिन बंगाल व बीजेपी की राजनीति के लिए एक अविस्मरणीय दिन के लिये याद किया जायेगा जब बीजेपी ने कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड मैदान को दस लाख की भीड़ के साथ पूरी तरह से पाट दिया था। मोदी जी को सुनने व देखने के लिए बंगाल के दूकर दराज के इलाकोें से आयी जनता उतालवी हो रही थी। जब मोदी जी का 2014 का चुनाव चल रहा था उस समय उनकी रैलियों में जिस प्रकार का उत्साह देखने को मिलता था यह उत्साह उन रैलियों से भी कई गुना अधिक बढ़ा हुआ था। कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड मैदान में बीजेपी की रैली में उमड़ी भीड़़ ने सर्वे करने वाली मीडिया टीमों को एक बार फिर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि क्या इस बार बीजेपी वाकई बंगाल विधानसभा चुनाव में दो सौ पार पहुंचने जा रही है? बंगाल में बीजेपी ने यूपी के चनावों की तरह ही अपना मिशन शुरू किया है। याद करिये जब 2014 यूपी के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के पास नाममात्र की सीटें थी उस समय चुनाव प्रभारी अमित शाह ने प्रदेश में बीजेपी को 73 सीटों पर जीत दिलवा दी थीं और फिर विधानसभ चुनाव भी जिताया था। आज बंगाल में बीजेपी उसी रणनीति व मिशन मोड़ पर काम कर रही है।
कोलकाता की ऐतिहासिक बिगेड मैदान की रैली जमीन पर ही नहीं सोशल मीडिया पर भी छायी रही। जब पीएम मोदी रैली को संबोधित कर रहे थे उस समय संबंधित हैशटैग मोदी साथ बिग्रेड पर दस लाख से अधिक टवीट हो चुके थे। बीजेपी आईटी सेल के अमित मालवीय ने बताया कि पीएम मोदी की रैली में उमड़ी भीड़ से बीजेपी के नेताओं में उत्साह व जोश है। यह रैली व भीड़ का जोश बंगाल चुनावों के लिए टर्निग प्वाइंट है। इस रैली में सबसे बड़ी बात यह रही है कि बांग्ला व हिंदी फिल्मों के सुपर स्टार मिथुन चक्रवर्ती भी बीजेपी में शामिल हो गये हैं। बांग्ला फिल्मी दुनिया की कई हस्तियां बीजेपी में शामिल हो चुकी है। अब बंगाली फिल्म जगत भी राजनैतिक विचारधारा के अनुसार दो भागों में विभाजित दिखलायी पड़ रहा है। मिथुन चक्रवर्ती के बीजेपी में शामिल होने का कितना असर हुआ यह तो आगामी दो मई को जब विधानसभा चुनावों के परिणाम सामने आयेंगे तब पता चलेगा लेकिन विरोधी दलों के नेताओं के बयानों से साफ पता चल रहा है कि तीर बिलकुल सही निशाने पर लगा है। अभी तक मिथुन चक्रवर्ती वामदलों व तृणमुल कांग्रेस को लिए बहुत ही अच्छे इंसान थे लेकिन जैसे ही उन्होंने बीजेपी का झंडा पकड़ा वह अपने पुराने मित्रों की नजर में नक्सली हो गये। तृणमूल नेता सौगत राय ने ने कहा कि बीजेपी ने ईडी का डर दिखाकर मिथुन को अपनी ओर मिलाया है कुछ ने उन्हें सांप तक कहां। अब मिथुन ने जवाब देते हुए कहा है कि वह सांप नहीं कोबरा हैं। अपना काम एक ही बार में कर डालते हैं। तृणमुूल के नेताओं की बगावतों का दौर अभी भी जारी है। मिथुन की यह अपील की कि बंगाल में रहने वाले सभी बंगाली हैं और वे उनके साथ खड़े हैं उनकी यह बात बीजेपी के लिए मददगार हो सकती है। मिथुन के माध्यम से बीजेपी बंगाल के गांव, गरीब और मजदूरों तक पहंुच बनाना चाह रही है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषण में अपने आप को गरीबों का दोस्त बताया।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि बीजेपी के डीएन में बंगाल है। एक प्रकार से उन्होंने महान संत स्वामी विवेकानंद तथा एक विधान एक निशान का नारा देने वाले डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और नेताजी सुभाषचंद्र बोस को याद करते हुए अपनी राजनैतिक जमीन को मजबूत करने का प्रयास किया है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ममता दीदी सहित कांग्रेस व वामदलों के गठबंधन पर भी तीखे हमले बोले। पीएम ने कहा कि ममता बनर्जी की स्कूटी का नंदीग्राम में गिरना तय है। उन्होंने बताया कि तृणमूल का गोत्र ही कांग्रेस है। उन्होंने स्पष्ट किया कि देश के सभी गरीब भाई बहन मेरे दोस्त हैं और मैं उनके लिए काम करता हूं। गरीबी समझने के लिए मैं किताब नहीं पढ़ता। उन्होंने एक बार फिर देश की जनता को बताया कि उनके विरोधी उन्हें किस प्रकार से गाली देते हैं व अपमानित करते हैं। उन्होंने बताया कि ममता दीदी मुझे रावण, दानव तो कभी गुंडा कहती हैं। दीदी ने बंगाल के सपनों को चूर – चूर कर दिया है।
उनकी रैली में चारो ओर उत्साह भरी भीड़ नजर आ रही थी और पूरा कोलकाता भगवामय नजर आ रहा था। अभी बंगाल में पीएम मोदी की कई धुआंधार रैलियां होने जा रही है। बीजेपी अध्यक्ष जे पी नडडा, गृहमंत्री अमित शाह व बीजेपी के सभी स्टार प्रचारकों का तूफानी दौरा होने जा रहा है। विरोधी किसान आंदोलन व महंगाई के नाम पर बीजेपी को एक बार फिर घेरने का प्रयास करते दिखलायी पडेंगे़ें। बंगाल में कटटर मुस्लिम संगठन भी नहीं चाहेंगे कि राज्य में बीजेपी मजबूत हो लेकिन पीएम मोदी की रैली में जिस प्रकार से मुसलमानों की भीड़ आयी है उससे बीजेपी व मोदी विरोधियों की नींद हराम हो गयी है। ब्रिगेड मैदान मे्र मोदी जी की रैली में मुसलमानों का बड़ी संख्या में आना भी विरोधी दलों व सर्वे करने वाली टीमों को हैरान करने वाला है। यह बात तो तय है कि बंगाल के चुनावो में कोलकाता के बिग्रेड मैदान मे मोदी जी की ऐतिहासिक रैली बंगाल की राजनीति के साथ ही देश की राजनीति में कुछ न कुछ बड़ा परिर्तन तो अवश्य ही लाने जा रही है। यहरैली बीजेपी के लिए टर्निग प्वाइंट हो सकती है। अगर बीजेपी 123 से 130 सीटो के साथ विरोध में भी बैठती है तो यह उसके लिये बहुत बड़ी सफलता होगी लेकिन अब उसे आशा जगी है कि पीएम मोदी की लोकप्रियता के सहारे बीजेपी का बंगाल में आपरेशन 200 पर सफल हो जायेगा। अगर बंगाल बीजेपी ने यह कारनामा कर दिखाया तो पूरे देश की राजनीति में भी एक बार फिर परिवर्तन का चक्र घूम सकता है। यह बहुत बड़ा परिवर्तन होगा। देश में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का अंत और सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के मूल मंत्र को बल मिलेगा।
— मृत्युंजय दीक्षित