कविता

पागल बन जाना

इसबार भी होली

अकेले, चुपके

खेल लूँगा,

चूँकि राहुल भी

अकेले रह गए,

सलमान भी,

मुकेश खन्ना भी !

तेजप्रताप बनकर भी

फायदे नहीं !

सच्चा प्रेम होने की

प्रतिबद्धता

सिर्फ मर्द से ही क्यों ?

….या सिर्फ

महिलाओं से ही

अपेक्षा क्यों ?

क्या जैसे को तैसे

जवाब देना ही आस्था है

या प्रतिबद्धता

या अर्द्धआस्था

या अंधआस्था

या अतिरेक आस्था ?

क्या प्रेम में

पागल बन जाना

या हो जाना

शोभनीय है ?

पागलपन क्या

जुनूनी अवस्था लिए है ?

प्रेम में बेवफा….

प्रेम में विरक्ति….

कई वस्तुस्थितियां हैं,

जिनके लिए

ठोस तथ्य

अबतक अनुत्तरित है !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.