पागल बन जाना
इसबार भी होली
अकेले, चुपके
खेल लूँगा,
चूँकि राहुल भी
अकेले रह गए,
सलमान भी,
मुकेश खन्ना भी !
तेजप्रताप बनकर भी
फायदे नहीं !
सच्चा प्रेम होने की
प्रतिबद्धता
सिर्फ मर्द से ही क्यों ?
….या सिर्फ
महिलाओं से ही
अपेक्षा क्यों ?
क्या जैसे को तैसे
जवाब देना ही आस्था है
या प्रतिबद्धता
या अर्द्धआस्था
या अंधआस्था
या अतिरेक आस्था ?
क्या प्रेम में
पागल बन जाना
या हो जाना
शोभनीय है ?
पागलपन क्या
जुनूनी अवस्था लिए है ?
प्रेम में बेवफा….
प्रेम में विरक्ति….
कई वस्तुस्थितियां हैं,
जिनके लिए
ठोस तथ्य
अबतक अनुत्तरित है !