भजन/भावगीत

भोले भव से कर दो पार

भोले भव से कर दो पार पकड़ लो मेरी बैंयां
पकड़ लो मेरी बैंयां पकड़ लो मेरी बैंयां-भोले भव से कर दो————–
1. मैं पार उतरना चाहूं मुझे राह न कोई सूझे
मेरे दांएं-बांएं सब हैं मेरा हाल न कोई बूझे
शंकर शरण में ले लो आके पकड़ लो मेरी बैंयां-भोले भव से कर दो————–
2.मैं पाप-ताप से हारी मेरी डोल रही है नैय्या
मैं कब से तुझे पुकारूं आ बन जा प्रभु खिवैया
शंकर बन जाओ पतवार पकड़ लो मेरी बैंयां-भोले भव से कर दो————–
3.तुम दीनबन्धु हो दाता मुझको भी तो अपना लो
हे सबके भाग्य-विधाता मेरा जीवन सफल बनादो
कर दो मेरा भी उद्धार पकड़ लो मेरी बैंयां-भोले भव से कर दो————–
4.हे शिवशंकर-त्रिपुरारी भक्तों के भवभयहारी
हमें अपना दरश दिखाकर प्रभु हरलो विपदा सारी
कर दो इतना-सा उपकार पकड़ लो मेरी बैंयां-भोले भव से कर दो————–
(तर्ज़- सासुल पनिया कैसे जाऊं रसीले दोऊ नैना———–)

लीला तिवानी की प्रकाशित पुस्तक श्री हरि भजनामृत से

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244