अनूप साहित्यरत्न
परिषद ने
1957 में
उनके उपन्यास
‘रक्त और रंग’ के प्रसंगश:
‘बिहारी ग्रंथ लेखक पुरस्कार’
और 1981 में
‘वयोवृद्ध साहित्य सम्मान’
प्रदान किया ।
शनै: – शनै: हो रहे
कमजोर शरीर
और बढ़ती बीमारी के कारण
उन्होंने ‘प्रकाशनाधिकारी’ पद से
1963 में
त्यागपत्र दे दिए
और सामाजिक सरोकारों से
जुड़ गए,
इसी क्रम में
अपने गांव (अब प्रखंड) समेली में
‘प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र’ की
स्थापना में
अनूपजी की
अविस्मरणीय भूमिका रही,
जिनमें ग्रामीण
डॉ0 विहोश्वर पोद्दार जी ने
चिकित्सीय सहयोग दिए थे ।
मृत्यु भी गाँव में हुई थी ।
तब ज्येष्ठ पुत्र सतीश सहित
सुवोध और प्रबोध भी वहीं थे ।
बेटी, पोते-पोती,
नाती-नतिनी के
भरे-पूरे परिवार
छोड़कर कि-
“बड़ी रे जतन सँ
सूगा एक हो पोसलां,
सेहो सूगा उड़ी
गेल आकाश ।”