इम्तिहान
विषय इम्तिहान
विधा कविता
जिंदगी का हर घङी है इम्तेहान
जी लो जी भर के मिला जन्म हम हैं इंसान
८४ लाख योनियों में मिला हमको यह वरदान
कल क्या हो सब हैं इससे अनजान।
निशा हुई सो गए चैन से
आएगी उषा सब है बेखबर से
खुली नींद सलामत देखा खुद को
इम्तेहान में हुयी पास जन्म मिला पुनः वजूद को।
फिर क्यों मनुज अहंकार है तुझको
समय दिया है ईश्वर ने एक जैसा सबको
हर पल का हिसाब ऊपर वाला रखता है
तभी तो हर वक्त इम्तिहान हमसे लेता है।
ईर्ष्या लोभ द्वेष क्रोध तू छोड़ दे
जिंदगी को तू एक नया मोड़ दे
हर दिवस का होता है अवसान
जिंदगी का हर घड़ी है एक इम्तिहान।
स्वरचित
सविता सिंह मीरा
झारखंड जमशेदपुर