मुक्तक/दोहा

धूप छांह के रंग

रूप सुहानी चांदनी ,दिलकश थी आवाज ,
पर चिडिया को ले उडा ,चतुर सयाना बाज।

सुबह रसोई जागती ,करते बरतन शोर ,
अदरख वाली चाय से ,होती अपनी भोर।

ठिठुर रही है जिंदगी ,मौत भरे मुस्कान ,
घना कोहरा चीर के ,आओ धूप महान।

अंधियारे को चीर कर ,ऊगे सूरज रोज ,
चन्दा तारों की करे ,सारा दिन वो खोज।

बादल जी दिन भर फिरें,सूरज जी के संग .
धरती पे दिखला रहे ,धूप छांह के रंग।

— महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

द्वारा जतिन वर्मा E 1---1103 रोहन अभिलाषा लोहेगांव ,वाघोली रोड ,वाघोली वाघेश्वरी मंदिर के पास पुणे [महाराष्ट्र] पिन --412207 मोबाइल नंबर --9893836328