कविता

संवाद

संवाद से परे
होती है एक अभिव्यक्ति
मौन की

जब लवों पे ठहर जाती है स्थिरता
और सारे शब्द जब पहन लें
खामोशियों के लिबास
दिल दिमाग एकजुट हो जाए
चुप्पी साधने को

शांत झील में तब्दील हो जाए
सम्वेदनाओं का बहना

तभी दिल में बंद
एहसासों की कुछ पंखुड़ियां टूटकर
बिखेरने लगती है महक हवाओं में
उड़ने लगते है संवाद फिजाओं में

अपने साथ लिए
अनकहे शब्दों की गुलाबी चिट्ठी
छोड़ आती है वहां
जहां कोई कर रहा होता है इंतजार वर्षों से

और आते-आते ले आतीं हैं
जज्बातों की कीमती मौन संवाद
जो बिना कहें बिना सुने
सबकुछ पढ़ ली जाती है…

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]