लघुकथा

सपने

कुछ सपने होते हैं जो सदा अधूरे रहते हैं। मीता ने हजारों सपने देख रखे थे। वह सोचती थी शादी के बाद वो रानी बेटी बन के राज करेगी। उसकी पढाई ख़त्म हो चुकी थी। वह टाइम पास के तौर पर कम्प्यूटर का कोई कोर्स कर रही थी। तभी अचानक उसकी शादी हो गई। लड़का कॉलेज में प्रोफेसर था। शादी धूमधाम से हुई ,और मीता ससुराल आ गई। कुछ दिन तो ठीक बीते। मगर जल्दी ही उसे ससुराल वालों का लालची रूप दिखने लगा था। वो बोलते थे पापा से पैसे मँगाओ कार खरीदनी है। मगर वो पापा से कैसे बोलती ,पापा तो उसकी शादी से ही कर्ज में डूबे थे।उसे जली कटी सुनाई जाती ,उसके मायके वालो को गालियां दी जाती। बेचारी चुपचाप सहती।
एक दिन जब उससे सहन नहीं हुआ तो वह रात को चुपचाप अटैची लेकर स्टेशन चल पड़ी। वाराणसी की ट्रैन आने वाली थी। उसने टिकट कटाया और ट्रैन आने पर जनरल बोगी में बैठ गई। अगले दिन वाराणसी पहुँच कर जब वो अपनी दूर के रिश्ते की मौसी के घर पहुँची ,तो मौसी हैरान रह गई। मीता ने उन्हें अपनी कहानी बताई तो वो भावुक हो उठी। है जिस बच्ची को बचपन में गोद में खिलाया उसकी ये हालत। मौसाजी पुलिस में थे। मौसी ने कहा तुम यहीं रहो आराम से।
मीता स्नातक तो थी ही उसने जूडो कराटे सीखा और शारीरिक व्यायाम से शरीर को पुष्ट बनाया। उसे अब पुलिस की नौकरी करनी थी। उसकी मेहनत रंग लाई और वह सब इंस्पेक्टर बन गई। उसकी पोस्टिंग उसी जगह हुई जहाँ उसकी ससुराल थी। वहां जाकर उसे पता चला पतिदेव दूसरी शादी कर रहे हैं ,तो उसने क़ानूनी कार्यवाही करने का फैसला किया। पतिदेव पर प्रताणना और पहली पत्नी होते हुए दूसरी शादी करने का अभियोग लगा। और पतिदेव सलाखों के पीछे पहुँच गए।
मीता ने पिता को फोन से सारी कहानी सुनाई ,तो पापा बोले ,शाबाश बेटा मुझे तुम पे गर्व है ,अब तलाक लेकर तुम्हारी शादी धूमधाम से करूँगा। मीता बोली ,पापा रहने दीजिये अब मै पुलिस की नौकरी करते हुए देश सेवा करूंगी। फिर उसने मन में सोचा कुछ सपने सदा ही अधूरे रहते हैं।
— महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

द्वारा जतिन वर्मा E 1---1103 रोहन अभिलाषा लोहेगांव ,वाघोली रोड ,वाघोली वाघेश्वरी मंदिर के पास पुणे [महाराष्ट्र] पिन --412207 मोबाइल नंबर --9893836328