मिलन के दोहे
मिलन ईश वरदान है,है इक पावन भाव।
जिसका मनचाहा मिलन,उसको नहीं अभाव।।
मिलन नहीं तो,है विरह,जो लगता अभिशाप।
मिलन एक अहसास है,मिलन लिए नित ताप।।
मिलन बदल दे ज़िंदगी,मिलन प्रेम के नाम।
मिलन खुशी है,वेग है,मिलन राधिका-श्याम।।
मिलन सदा है वंदगी,मिलन एक उत्कर्ष।
मिलन मेलकर दो हृदय,जीते हर संघर्ष।।
मिलन कामना नेक है,मिलन रचे मधुमास।
मिलन सदा ही आस है,मिलन एक विश्वास।।
भक्त-मिलन आराध्य से,तो पलता अनुराग।
मिलन लिए सुर,ताल,लय,शुभ-मंगलमय राग।।
मिलन एक देवत्व है,मिलन एक जयगान।
मिलन एक अरमान है,जो रखता है आन।।
मिलन समर्पण,निष्ठता,मिलन सरसता-रूप।
मिलन रचे नित ही यहाँ,उजली-खिलती धूप।।
मिलन धर्म है,सादगी,मिलन पूर्ण संसार।
मिलन मिले,तब ही मिले,इस जीवन को सार।।
मिलन आत्मिक तत्व है,मिलन सात्विक सत्य।
मिलन मिले तो मान लो,उगा नवल आदित्य।।
— प्रो. (डॉ) शरदनारायण खरे