छंदों का पुनरुद्धार करवाता : “छंद विन्यास “काव्य रूप
छंद विन्यास (काव्य रूप) डा संजीव कुमार चौधरी जी पुस्तक मेंं छंदों के साथ कविता का जो रूप बन पड़ा है ।बहुत ही सुंदर ढंग से और सरल ढंग से पुस्तक में संजोया गया है। काव्य के श्रृंगार को समझने वाले और मुक्त छंद में लिखने वाले जब एक बार इस पुस्तक को पढ़ेंगे तो वह जानेंगे कि छंद का काव्य में कितना महत्वपूर्ण योगदान है वे छंद के महत्त्व को समझते हुए जानेंगे कि कविता की नींव ही छंद आधारित होती है ।
रोचकता की दृष्टि से यह पुस्तक काव्य में छंद के सृजन को किस प्रकार सफल बनाया जा सकता है बहुत ही साधना कृत तरीके से और सरल तरीके से छंदों का ज्ञान अलग-अलग छंदों से मात्राओं भार को बताते हुए उनके सूत्र देकर समझाया गया है।
मुक्त छंद के इस दौर में जब हर कोई कविता कर रहा है और छंदों के महत्व से अनभिज्ञ कविता को छंद के अभाव में छान रहा है उस दौर में यह पुस्तक जो सही में काव्य के साथ न्याय करना चाहते हैं वह इस पुस्तक को पढ़कर छंद और कविता के प्रयोग से बहुत ही सुंदर कविता का सृजन कर सकते है।
डॉक्टर संजीव कुमार चौधरी जी ,जो कि एक चिकित्सक हैं काव्य में छंदों के प्रयोग से काव्य में जो जीवन का संचार होता है उसका एक चिकित्सक की भांति उसमें प्राण डाल कर बहुत ही सुंदर और सरल तरीके से छंद और काव्य के मेल की अनुभूति से काव्य मन आत्म- विभोर हो उठता है ।
इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य छंद की जानकारी देते हुए जन-जन तक पहुंचाया जा सके ताकि आमजन यह जान सके कि छंदों का प्रयोग करना मुश्किल नहीं है। लेखक ने अपनी पुस्तक के द्वारा काफी योग करते हुए यह संदेश देने की कोशिश की है कि छंद परंपरा का पुनरुद्धार किया जाए छंदों का क्या महत्व है पाठकों को बताया जाए ।मुक्त छंद में अभिव्यक्ति तो सरल हो सकती है लेकिन काव्य की आत्मा को जीवन नहीं मिल पाता ।
काव्य से न्याय नहीं हो पाता। एक ताल नहीं जुड़ पाता जो काव्य मन को तृप्ति देता है। देखा जाए तो हमारी शिक्षण व्यवस्था इसके लिए तैयार नहीं है ।बदलते समय में मात्राओं को कंठस्थ करने की युक्तियां खो गई है जिसके कारण कविताओं में छंद आधारित बोध का अभाव प्राप्त होता है ।
डॉक्टर संजीव कुमार चौधरी जी ने इसी तथ्य को समझा है और छंदों की अनेक रूप और उनके उदाहरण मात्राओं भार के साथ प्रदर्शित करते हुए एक सूत्र पुस्तक तैयार कर दी है जो आने वाली अनगिनत पीढ़ियों को छंदों के रूप में मार्गदर्शन करती हुई एक लयबद्ध काव्य का सृजन करने के लिए प्रेरित करती रहेगी ।
पुस्तक में बहुत ही सुंदर तरीके से छंदों के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए काव्य की जो सुंदर व्यंजना की है वह देखते ही बनती है आप इसे पढ़ने के बाद लगेगा कि छंद आधारित काव्य की रचना मुश्किल नहीं है। गंभीरता से देखा जाए तो यह पुस्तक एक शोध है जिसमें मात्राओं के अनुसार विभिन्न मात्रा वाले शब्दों का चयन कर जब काव्य का सृजन होता है । उस काव्य को पढ़ने में अलग ही सुखद अनुभूति होती है । प्रत्येक छंद को मात्राओं के भार और उदाहरण सहित बताया गया है । ताकि छंद में लिखने वाले ने कवियों के लिए यह एक सूत्र पुस्तिका है ।
यह पुस्तक एक नया आयाम पेश करती है ।डॉ ०चौधरी जी की साधना और उनकी तपस्या है इतने सुंदर तरीके से इस पुस्तक का गठन किया है कि आने वाली पीढ़ियों को भी बड़ी सरलता से छंदों का ज्ञान हो सकेगा और छंदों का काव्य में क्या महत्व है साधारण जन को भी इसका पता चलपायेंगा ।
साहित्य की प्राचीनतम विदा कविता है भारत में ऋग्वेद को प्राचीनतम साहित्य माना जाता है जो काव्य विधा में ही रचित है
भावना का कर सिंगार
झंकृत करें मनके तार
शब्द विहंसे मंद मंद
कविता है वही तो छंद।
पुस्तक को चार खंड में विभाजित किया गया है । प्रथम खंड में छंद परिचय, छंद- विन्यास, गणअन्वेषण और छंद भेद का वर्णन किया गया है। खंड -दो में मात्रिक छंदों की व्याख्या की गई है पुस्तक में 141 प्रकार के छंदों का और काव्य की विधाओं का बहुत ही सुंदर उदाहरण सहित वर्णन किया गया है ।
चौबोला छंद का सुंदर उदाहरण देखें -(सूत्र 15 मात्रा, अंत लघु गुरु ,चार चरण दो-दो समतुकांत)परिचय –
अंत लघु गुरु रख रचें छंद चौबोला
पंद्रहमात्रिक चार चरणिक तंबोला
उदाहरण –
थक कर आते हैं दिन ढले
११११२२२१११२
दिहाड़ी को घर से निकले
मायूस जब काम ना मिले
बिना पैसे दिल कैसे खिले
छंदों के इतने नामों को पढ़कर आप मंत्र मुग्ध हो जाएंगे । तोमर छंद का बहुत ही सुंदर एक अन्य उदाहरण –
(सूत्र -सममात्रिक बारहमात्रिक ,चार चरण दो-दो या चारों तुकांत चरणांत गुरु लघु-२१)
कोई भी हो उपाय
२२२२१२१
चैन जैसे आ जाए
२१२२२२१
छोड़ के ये संसार
२१२२२२१
पी से लूं नेह डार।।
२२२२१२१
हर छंद का उदाहरण सूत्र सहित वर्णित किया गया है उनकी मात्रा भार को चरणों को परिचय सहित वर्णित किया गया है यह पुस्तक एक साधना है इसी ध्यान से जो इसे पढेंगा । वह छंद साधना अवश्य कर लेगा।
पुस्तक का नाम -छंद विन्यास (काव्य रूप)
लेखक -डॉ संजीव कुमार चौधरी
प्रकाशक -काव्या प्रकाशन
वर्ष -2021
मूल्य -180/-
समीक्षक- प्रीति शर्मा “असीम”