लघुकथा

3 लघुकथाएँ

निर्दयी भूख

अभी सुबह हो ही रही थी. सूर्य की लालिमा धरती तक नहीं पहुंची थी. मैं किसी जरुरी कार्य के सिलसिले में बाहर जा रहा था. इसलिए घर से जल्दी निकला था. और बस के इन्तजार में अपने शहर के बस स्टैंड पर खड़ा था. सामने सड़क में कुछ दाने बिखरे थे. कुछ कबूतर उन दानों को चुगने के लिये सड़क में बैठ गये. तभी एक गाड़ी सड़क से गुजरी. बाकि कबूतर तो उड़ गये परन्तु एक कबूतर गाड़ी के नीचे आ गया. सड़क पर खून का एक धब्बा सा उभर आया व पंख इधर-उधर बिखर गये. तभी सामने से एक कुत्ते ने देखा तो वह उसे खाने सड़क की तरफ लपका. अभी वह उस धब्बे को चाटने ही लगा था कि पीछे से एक और तेज गति से आती गाड़ी उसके ऊपर से गुजर गई. मांस के लोथड़े व खून ही खून सड़क पर फैल गया. निर्दयी भूख ने कबूतर और कुत्ते की जान ले ली.

मैं सुबह-सुबह यह सारा द्रश्य देख अन्दर ही अन्दर रो उठा.

दो दृश्य 

पहला दृश्य : मेरे घर के पास ही अपने पिल्लों के साथ एक कुतिया नाली के बगल में पड़े कूड़े के ढेर पर अपने तथा पिल्लों के लिए रोटी तलाश लेती थी. आज रात भारी बर्फवारी हुई. कूड़े का ढेर बर्फ में दब गया था. कुतिया अपने पिल्लों को लेकर मेरे कमरे के सामने बन रहे नये मकान में लेकर आ गई. मकान के एक कमरे में सीमेंट की खाली बोरियां पडी थीं. उसने वहीँ अपना डेरा जमा लिया था. दिन जैसे– जैसे चढ़ने लगा भूखी कुतिया के स्तनों को भूखे पिल्ले चूस-चूस कर बुरा हाल करने लगे शायद स्तनों से निकलता दूध उनके लिए पर्याप्त नहीं था. भूखे पिल्लों की चूं-चूं की आवाजें हमारे कमरे तक आ राही थीं. मेरी पत्नी ने जब यह दृश्य देखा तो रात की बची रोटियां लेकर उस कमरे की ओर चल दी.मैं खिडकी से ये सब देखे जा रहा था.जैसे ही वह वहाँ पहुंची कुतिया उसे देखकर जोर जोर से भौंकने लगी.ऐसे लगा मनो वह मेरी पत्नी पर टूट पड़ेगी. तभी मेरी पत्नी ने उसे प्यार से पुचकारा और रोटियां तोड़कर उसके मुंह के आगे डाल दीं.अब कुतिया आश्वस्त हो गई थी कि उसके बच्चों को कोई खतरा नहीं है. कुतिया ने रोटी सूंघी और एक तरफ खड़ी हो गई. भूखे पिल्ले रोटी पर टूट पड़े. कुतिया पास खड़ी अपने पिल्लों को रोटी खाते देखे जा रही थी. सारी रोटी पिल्ले चट कर गये.भूखी कुतिया ने एक भी टुकड़ा नहीं उठाया.मातृत्व के इस दृश्य को देख कर मेरा ह्रदय द्रवित हो उठा और इस मातृधर्म के आगे मेरा मस्तक स्वतः नत हो गया.

दूसरा दृश्य : यह दृश्य भी मेरे ही शहर के थाने का था. एक महिला पुलिस कर्मी की गोद में डेढ़ साल की बच्ची चिपकी थी.पूछने पर पता चला कि कोई महिला इसे जंगल में छोड़ गई थी कि कोई हिंसक जानवर इसे खा जायेगा. परन्तु ईश्वर की कृपा किआर्मी एरिया होने के कारण पैट्रोलिंग करते जवानों ने बच्ची के रोने की आवाजें सुनी तो उसे उठा लाए और पुलिस के हवाले कर दिया. जंगल में बच्ची मिलने की खबरें  अख़बारों की सुर्खियाँ बनी तो पता चला बच्ची की माँ प्रेमी संग फरार है और पिता को बच्ची कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत ही सौंपी जायेगी. सब लोग उस बच्ची की माँ को लानतें दे रहे थे. मेरे द्वारा देखे गये दोनों दृश्य मेरे मानस पटल पर रील की भांति आ-जा रहे थे. दूसरे दृश्य को देख मैं अन्दर ही अन्दर पिघलने लगा था……..

कर्जमुक्त

एक वक्त था , सेठ करोड़ीमल अपने बहुत बड़े व्यवसाय के कारण अपने बेटे अनूप को समय नहीं दे पा रहे थे. अतः बेटे को अच्छी शिक्षा भी मिल जाये और व्यवसाय में व्यवधान भी उत्पन्न न हो इसलिए दूर शहर के बोर्डिंग स्कूल में दाखिल करवा दिया. साल बाद छुट्टियाँ पडतीं तो वह नौकर भेजकर अनूप को घर बुला लाते. अनूप छुट्टियाँ बिताता स्कूल खुलते तो उसे फिर वहीँ छोड़ दिया जाता.
वक्त बदला, अब अनूप पढ़-लिखकर बहुत बड़ा व्यवसायी बन गया और सेठ करोड़ी मल बूढ़ा हो गया. बापू का अनूप पर बड़ा क़र्ज़ था. उसे अच्छे स्कूल में जो पढ़ाया-लिखाया था. बापू का सारा कारोबार बेटे अनूप ने खूब बढ़ाया-फैलाया. कारोबार में अति व्यस्तता के कारण अब अनूप के पास भी बूढ़े बापू के लिए समय नहीं था. अतः अब वह भी बापू को शहर के बढ़िया वृद्धाश्रम में छोड़ आया और फुर्सत में बापू को घर ले जाने का वायदा कर वापिस अपने व्यवसाय में रम गया. वृद्धाश्रम का मोटा खर्च अदा कर अब वह स्वयं को कर्जमुक्त महसूस कर रहा था..

— अशोक दर्द

अशोक दर्द

जन्म –तिथि - 23- 04 – 1966 माता- श्रीमती रोशनी पिता --- श्री भगत राम पत्नी –श्रीमती आशा [गृहिणी ] संतान -- पुत्री डा. शबनम ठाकुर ,पुत्र इंजि. शुभम ठाकुर शिक्षा – शास्त्री , प्रभाकर ,जे बी टी ,एम ए [हिंदी ] बी एड भाषा ज्ञान --- हिंदी ,अंग्रेजी ,संस्कृत व्यवसाय – राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में हिंदी अध्यापक जन्म-स्थान-गावं घट्ट (टप्पर) डा. शेरपुर ,तहसील डलहौज़ी जिला चम्बा (हि.प्र ] लेखन विधाएं –कविता , कहानी , व लघुकथा प्रकाशित कृतियाँ – अंजुरी भर शब्द [कविता संग्रह ] व लगभग बीस राष्ट्रिय काव्य संग्रहों में कविता लेखन | सम्पादन --- मेरे पहाड़ में [कविता संग्रह ] विद्यालय की पत्रिका बुरांस में सम्पादन सहयोग | प्रसारण ----दूरदर्शन शिमला व आकाशवाणी शिमला व धर्मशाला से रचना प्रसारण | सम्मान----- हिमाचल प्रदेश राज्य पत्रकार महासंघ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए पुरस्कृत , हिमाचल प्रदेश सिमौर कला संगम द्वारा लोक साहित्य के लिए आचार्य विशिष्ठ पुरस्कार २०१४ , सामाजिक आक्रोश द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में देशभक्ति लघुकथा को द्वितीय पुरस्कार | इनके आलावा कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित | अन्य ---इरावती साहित्य एवं कला मंच बनीखेत का अध्यक्ष [मंच के द्वारा कई अन्तर्राज्यीय सम्मेलनों का आयोजन | सम्प्रति पता –अशोक ‘दर्द’ प्रवास कुटीर,गावं व डाकघर-बनीखेत तह. डलहौज़ी जि. चम्बा स्थायी पता ----गाँव घट्ट डाकघर बनीखेत जिला चंबा [हिमाचल प्रदेश ] मो .09418248262 , ई मेल --- [email protected]